Home Loan: सैलरी और EMI के बीच कैसे बनाएं बैलेंस? स्टेप बाई स्टेप समझें कि आप घर खरीदने के तैयार हैं या नहीं

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Sep 9, 2024, 1:11 PM IST
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Home Loan लेने से पहले समझें सैलरी और EMI के बीच सही बैलेंस कैसे बनाएं। डाउन पेमेंट से लेकर ब्याज दर और ईएमआई गणना तक, जानें सभी महत्वपूर्ण टिप्स।

Home Loan: घर खरीदना हर इंसान का सपना होता है। बचपन से हम एक ऐसे घर की कल्पना करते हैं, जहां हम अपने परिवार के साथ सुकून के पल बिता सकें, हंसी-खुशी के पल बीता सकें लेकिन सच कहा जाए तो घर खरीदने का यह सपना आसान नहीं है। खासकर मिडिल क्लास इंसान के लिए, जिसके पास सीमित आय और ढेर सारी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। जब आप पहली बार घर खरीदने के बारे में सोचते हैं, तो दिल में एक अनजानी सी ख़ुशी होती है, लेकिन साथ ही एक डर भी कि क्या मैं तैयार हूँ? क्या मैं इस बड़े फैसले के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हूँ? क्या मेरे पास इतना पैसा है कि मैं बिना किसी आर्थिक तंगी के अपना घर खरीद सकूँ? चलिए, इन सवालों के जवाब को समझने की कोशिश करते हैं। 

पहला कदम: डाउन पेमेंट 

जब आप किसी घर को खरीदने का फैसला करते हैं, तो सबसे पहला कदम होता है डाउन पेमेंट का इंतजाम करना। आपके पास उस घर की कीमत का कम से कम 30% हिस्सा कैश में होना चाहिए। यह 20% तो आप सीधे डाउन पेमेंट के रूप में देंगे और बाकी 10% का इस्तेमाल घर की रजिस्ट्री, जरूरी दस्तावेज़ और कुछ छोटे-मोटे खर्चों के लिए होगा।

दूसरा कदम: चेक करें कम ब्याज दर वाले होम लोन  

आपके सपनों के घर की कीमत शायद आपकी मौजूदा पूंजी से ज़्यादा हो, और ऐसे में होम लोन की जरूरत पड़ती है। लेकिन होम लोन लेने से पहले आपको ये तय करना होगा कि आप सस्ती ब्याज दर पर लोन लेने के योग्य हैं या नहीं, क्या आपके पास अच्छा क्रेडिट स्कोर है? क्या आपकी क्रेडिट हिस्ट्री साफ़-सुथरी है? अगर इसका उत्तर हां में मिलता है तो आप कम ब्याज दर पर होम लोन ले सकते हैं। इससे आप पर फाइनेंशियल बोझ कम हो जाएगा। आप कम ब्याज दर वाले होम लोन चेक कर ले सकेंगे।

तीसरा स्टेप: लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए कितने तैयार?

घर खरीदना केवल कुछ सालों के लिए नहीं होता। यह एक लंबी अवधि का निवेश होता है। जब आप घर खरीदते हैं, तो इसका मतलब है कि आप कम से कम 20-30 साल के लिए उसे अपना घर मान रहे हैं। होम लोन की ईएमआई भी 20 से 30 साल की अवधि तक हो सकती है। इसका मतलब है कि इस दौरान आपकी आधी जिंदगी इसी लोन को चुकाने में निकल जाएगी। इसलिए, इस फैसले को लेने से पहले आपको अपनी बाकी ज़िम्मेदारियों पर भी ध्यान देना होगा। जैसे, बच्चों की पढ़ाई, उनके भविष्य की योजनाएं, अपने बुढ़ापे के लिए बचत और आकस्मिक खर्चों का प्रबंधन। इसके लिए सही प्लानिंग जरूरी है।

चौथा स्टेप: कैसे तय करें ईएमआई?

आपकी सैलरी या कमाई और खर्चों के आधार पर ईएमआई तय करनी बेहद जरूरी है। एक सामान्य नियम यह है कि आपकी मासिक ईएमआई आपकी सैलरी या कमाई का 20-25% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी 60,000 रुपये प्रति माह है, तो आपकी ईएमआई 12,000 से 15,000 रुपये के बीच होनी चाहिए, ताकि बाकी पैसे घर के अन्य खर्चों जैसे कि बिल, राशन, बच्चों की फीस, पेट्रोल, और भविष्य के लिए बचत कर सकें।

पांचवां स्टेप: क्या आप घर खरीदने के लिए तैयार हैं?

जब आप अपने घर की योजना बनाते हैं, तो सबसे पहले यह देखना होता है कि आप जिस घर को खरीदना चाहते हैं, उसकी कीमत क्या है और क्या आप उसका डाउन पेमेंट करने के लिए तैयार हैं? अगर आपका डाउन पेमेंट का इंतजाम हो चुका है और आपकी ईएमआई आपकी सैलरी के अनुपात में सही बैठ रही है, तो इसका मतलब है कि आप घर खरीदने के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर इनमें से किसी भी एक मानक पर आप खरे नहीं उतरते हैं, तो आपको घर खरीदने का फैसला कुछ समय के लिए टाल देना चाहिए।

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