
Actor Vikas Sethi death: भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री के चर्चित अभिनेता विकास सेठी का 8 सितंबर, रविवार की रात नींद में ही कार्डियक अरेस्ट के कारण असमय निधन हो गया। विकास सिर्फ 48 वर्ष के थे। परिवार में उनकी पत्नी जाह्नवी सेठी और जुड़वां बेटे हैं। सेठी के निधन की खबर ने न सिर्फ लोगों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि एक जरूरी सवाल भी उठाया है कि आखिर क्यों युवाओं के साथ हार्ट अटैक की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।
पहले भी हार्ट अटैक से मर चुके हैं ये फिल्मी सितारे
पहले भी कई फिल्मी सितारे असमय हार्ट अटैक की चपेट में आ चुके हैं, उनमें से एक 40 वर्षीय सिद्धार्थ शुक्ला थे। जिनका भी सितंबर 2021 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। हाल ही में, बॉलीवुड अभिनेता श्रेयस तलपड़े भी इसी गंभीर समस्या से गुजरे, जब एक शूटिंग खत्म करने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें तुरंत मुंबई के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। हालाँकि उनकी स्थिति स्थिर है, लेकिन यह घटनाएं साफ बता रही हैं कि युवा उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा अब हकीकत बन चुका है।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में फर्क कैसे पहचाने?
दिल के दौरे (हार्ट अटैक) और हृदय गति रुकने के बीच का अंतर समझना बेहद महत्वपूर्ण है। जब दिल का दौरा पड़ता है, तो यह मुख्य रूप से हृदय की रक्त आपूर्ति में रुकावट के कारण होता है, जिससे हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। वहीं, हृदय गति रुकना (कार्डियक अरेस्ट) तब होता है जब हृदय की विद्युत प्रणाली में गड़बड़ी हो जाती है, जिससे हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है। यह स्थिति बहुत घातक हो सकती है और इसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
कम उम्र में हृदय रोग क्यों बढ़ रहे हैं?
कम उम्र में हृदयाघात की घटनाओं का बढ़ना एक चिंताजनक स्थिति है, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मेडिकल साइंस के मुताबिक, इसके कई आनुवंशिक कारण हो सकते हैं, जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) और अतालताजन्य राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी (ARVC), जो हृदय गति रुकने का कारण बन सकते हैं। ये बीमारी व्यक्ति की जन्मजात स्थितियों से जुड़े हो सकते हैं, जिनकी जानकारी उन्हें खुद भी नहीं होती। ऐसे आनुवंशिक रोग अचानक हार्ट की धड़कन को अनियमित कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है।
लाइफस्टाइल भी हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार
सिर्फ आनुवंशिक कारक ही नहीं, बल्कि आजकल की जीवनशैली भी हृदय रोगों में बढ़ोतरी का बड़ा कारण बन रही है। युवाओं में मोटापा, खराब खानपान की आदतें, शारीरिक गतिविधियों की कमी और लगातार बढ़ते तनाव से हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है। पहले यह समझा जाता था कि हृदय रोग केवल उम्रदराज़ लोगों की समस्या है, अब पता चल रहा है कि मॉडर्न लाइफस्टाइल ने इसे युवा पीढ़ी के लिए भी एक बड़ी समस्या बना दिया है।
तनाव और नींद की कमी खतरनाक
तनाव भी एक बड़ी वजह है, जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। काम का दबाव, रिश्तों में खटास, फाइनेंशियल क्राइसिस आदि सब मिलकर यूथ में तनाव के स्तर को बढ़ा रहे हैं, जो हार्ट पर सीधा प्रभाव डालता है। तनाव के साथ-साथ नींद की कमी भी हृदय के लिए घातक साबित हो सकती है। कई बार लोग यह सोचकर तनाव को नजरअंदाज कर देते हैं कि यह सामान्य है, लेकिन यह धीरे-धीरे हृदय को कमजोर कर सकता है।
नशीली दवाओं का प्रभाव
आजकल यूथ नशीली दवाओं का धड़ल्ले से यूज करते हैं। चाहे वह मनोरंजन के मकसद से हो या फिर अपना परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए, इनका ज्यादा यूज हार्ट पर गहरा असर डाल सकता है। ड्रग्स और स्टेरॉयड जैसी चीजें की हार्ट की एफिशिएंसी को प्रभावित करती हैं और अचानक दिल के दौरे की संभावना को बढ़ा सकती हैं। नशीली दवाएं यूथ के लिए खतरा साबित हो रही हैं।
हार्ट अटैक से कैसे बचें?
रेगुलर व्यायाम, बैलेंस डाइट और हेल्थ चेकअप कराना सबसे महत्वपूर्ण है। जिन लोगों के परिवार में पहले से हृदय रोगों का इतिहास है, उन्हें खासकर अपनी जांच करवानी चाहिए। धूम्रपान और नशीली दवाओं से दूरी बनाकर रखना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों पर ऑटोमेटिक एक्सटर्नल डिफ़िब्रिलेटर (AED) और सीपीआर प्रशिक्षण का भी बड़ा महत्व है। ये उपकरण और कौशल किसी की जान बचा सकते हैं, खासकर तब जब हृदयाघात जैसी आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होती है।