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मोदी सरकार के 10 साल में बढ़ गए इंटरनेट यूजर- क्या है इसके Side Effects?

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Apr 14, 2024, 12:44 PM ISTUpdated : Apr 14, 2024, 01:20 PM IST
मोदी सरकार के 10 साल में बढ़ गए इंटरनेट यूजर- क्या है इसके Side Effects?

सार

BJP के अगुवाई वाली NDA गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर रहे पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में क्या बदला। इंटरनेट से AI तकनीक की आभासी दुनिया में पहुंच चुके आज के युवाओं में इंटरनेट को लेकर क्या सोच है। ये खबर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आधारित है। जिसमें बीते 10 सालों में इंटरनेट की प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया है।

नई दिल्ली। केंद्र में नई सरकार चुनने की शुरूआत हो चुकी है। देश में कुल 7 चरणों में होने वाले मतदान का आगाज 19 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के मतदान के साथ हाेगा। इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा यह शुरू है कि आखिर BJP के अगुवाई वाली NDA गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर रहे पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में क्या बदला। इंटरनेट से AI तकनीक की आभासी दुनिया में पहुंच चुके आज के युवाओं में इंटरनेट को लेकर क्या सोच है। ये खबर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आधारित है। जिसमें बीते 10 सालों में इंटरनेट की प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया है।  

10 साल में 607 मिलियन बढ़ गए इंटरनेट यूजर
आंकड़ों पर गौर करें तो  2014 में 2G से शुरू हुआ पीएम मोदी का कार्यकाल 2024 आते-आते 5G तक पहुंच चुका है।  इस हिसाब से इस अवधि में सबसे बड़े बदलावों में से एक प्रौद्योगिकी और इंटरनेट पहुंच में उछाल और इसका प्रभाव माना जा रहा है। 2014 में जिस वर्ष नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री पद की शपथ ली, उस वक्त भारत में सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 213 मिलियन थी। 2023 तक यह बढ़कर 820 मिलियन पार कर गई है।

इंटरनेट की पहुंच ने आसानी की आम आदमी की जिंदगी
इंटरनेट की दुनिया में व्यापक बदलाव आया। 5G के इस दौर में आज वो सारे काम घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से हो रहे हैं, जिन्हें करने के लिए आम आदमी को खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से एक बड़े रोजगार के द्वार भी खुले हैं। मोबाइल बैंकिंग से लेकर ऐप डाउनलोडिंग तक, रील, यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया का व्यापक विस्तार हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनीष द्विवेदी कहते हैं कि इससे मूलभूत जरूरतों से लेकर कोर्ट कचहरी तक के काम आसान हुए है। 

महिला पत्रकारों ने 5 साल तक किया युवाओं पर रिसर्च
2019 के आम चुनावों के बाद, फोटोग्राफर प्रार्थना सिंह और पत्रकार और लेखिका स्निग्धा पूनम भारत के युवा नागरिकों से मिलने और उन्हें युवा होने का मतलब समझाने के लिए दस्तावेज तैयार करने के लिए निकलीं। 5 वर्षों की अवधि में दोनों ने 18 से 25 वर्ष की आयु के बीच 100 से अधिक भारतीयों से मुलाकात की, बात की, तस्वीरें खींची और रिकॉर्ड किया। जिसके परिणामस्वरूप 2024: एक पीढ़ी के नोट्स शीर्षक से एक मल्टीमीडिया प्रदर्शनी मुंबई की टार्क गैलरी में लगाई है। 

सूचनाओं की भरमार से अनिश्चितता के दौर में जी रहा युवा
उन्होंने जो सामान्य बातें देखी, वह लोगों में खुद को ऑनलाइन एक व्यक्तिगत ब्रांड बनाने की तीव्र इच्छा थी। वे काम ढूंढने या किसी भी तरह के काम में लगे रहने के किसी भी स्तर पर हो सकते हैं, चाहे वे स्वयं प्रभावशाली बनने की कोशिश कर रहे हों या डॉक्टर बनने के लिए अध्ययन कर रहे हों। सब अपना एक यूट्यूब चैनल बनाना चाहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे हर दिन इसमें पोस्ट नहीं कर रहे होंगे। पूनम भारत कहती हैं कि एक व्यक्तिगत ब्रांड बनाने की चाहत, नौकरी बाजार की अनिश्चितता भी बड़ा कारण है। 

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