नई दिल्ली। लोकतंत्र के महापर्व की शुरूआत हो चुकी है। केंद्र में सत्तासीन BJP की मोदी सरकार अपने बीते 10 साल के कार्यकाल का लेखा जोखा अपने बयानों के माध्यम से जोर-शोर से पहुंचा रही है। विपक्ष सरकार पर बेरोजगारी से लेकर मंहगाई और जाति-संप्रदाय की राजनीति का आरोप लगाते हुए हमला कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच में नेताओं की टीम ने अभी तक यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर इन 10 वर्षों में बालक से वयस्क होकर पहली बार मतदाता बने उन युवाओं के मन में क्या चल रहा है। रोजगार को लेकर, सरकार को लेकर या फिर महंगाई पर इन युवाओं की क्या राय है, इसे टटोलने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। MY NATION Hindi आज आपकों इसी तरह के युवाओं की सरकार और राजनिति की सोच के बारे में बताएगा। 

युवा मतदाताओं की है ये राय
एक हालिया विश्लेषण में पाया गया कि देश में 1.8 करोड़ नए युवा मतदाता जुड़े, लेकिन वे इस आयु वर्ग में मतदान करने के योग्य लोगों में से 40% से भी कम का प्रतिनिधित्व करते हैं। युवा मतदाताओं के बीच इस बात को लेकर भ्रम है कि इसे तर्कसंगत तरीके से कैसे किया जाए। जम्मू कश्मीर के बड़गाम की रहने वाली 19 वर्षीया छात्रा आसमा फिरदौस नर्सिं की पढ़ाई कर रही हैं। उनका कहना है कि बीते 10 सालों में बहुत बदलाव आया है। सुविधाएं और विकास अधिक हुए हैं। तेलंगाना की स्वाति देवारी इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं। उनका हना है कि इस दौरान कुछ चुनिंदा लोग ही अमीर हुए हैं। बाकी के जीवन में संघर्ष जारी है। बेंगलूरु के क्रिकेट खिलाड़ी मोहनीश एस का कहना है कि उनके जेहन में सबसे ज्यादा नोटबंदी का असर हुआ है। इससे कई अपराधी पकड़े गए। ये अच्छा कदम था।  

बेंगलुरू की छात्राओं ने कहा कि जो मेहनत करेगा उसे नौकरी मिलेगी
दिल्ली में प्रारंभिक बचपन शिक्षा में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रही 18 वर्षीय मेघना दीक्षित इस सांचे में फिट हो सकती हैं। वह एक दिन सिविल सेवक बनने की उम्मीद करती हैं और कहती हैं कि वह अपने सोशल मीडिया फ़ीड को स्क्रॉल करने के बजाय किताब पढ़ना पसंद करती हैं। प्रथम वर्ष की इंजीनियरिंग छात्राएं राम्या बीएम और रेवती वाईएस निवासी बेंगलुरू से पूछा गया कि उन्हें क्या लगता है कि भारत के सामने क्या चुनौतियां हैं, तो उन्होंने बेरोजगारी का उल्लेख नहीं किया। किसान पिता की बेटी रम्या ने कहा कि "अगर हम अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करेंगे, तो हमें नौकरियां मिलेंगी, इसलिए हम कोडिंग सीखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हालांकि उसकी दोस्त रेवती का लक्ष्य सरकारी नौकरी है।

इन 10 सालों में सबसे ज्यादा BJP के बारे में युवा मतदाताओं ने जाना 
देश में क्या सही है और क्या गलत है, इस पर इन युवाओं के अलग-अलग विचार और राय हैं, लेकिन जो बात उन्हें एकजुट करती है, वह यह है कि वे सभी पहली बार मतदाता हैं। मतदाता सूची में शामिल 1.8 करोड़ 18 और 19 वर्षीय नए मतदाताओं का हिस्सा हैं। जो बात उन्हें पिछले वर्षों में पहली बार बने मतदाताओं से अलग करती है, वह यह है कि वे सभी नरेंद्र मोदी के शासनकाल में वयस्क हुए हैं। वे पिछले 10 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को सबसे ज्यादा जानते हैं - जो परिवर्तन और उथल-पुथल दोनों का दौर था। 

ये भी पढ़ें...
Voter helpline App: मतदाताओं के लिए बड़े काम के हैं ये नंबर और ऐप, समस्या होने पर तुरंत करें इनका उपयोग