Jio, Airtel, Vi ने मैसेजिंग ऐप्स पर नए रूल्स के लिए TRAI बनाया प्रेशर, आपके लिए क्या है जानना जरूरी?

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Aug 12, 2024, 12:14 PM IST

रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन ने ट्राई से व्हाट्सएप, गूगल के आरसीएस और टेलीग्राम के लिए नए नियम पेश करने की मांग की है। जानें इन नए नियमों का क्या प्रभाव हो सकता है और क्यों इन कंपनियों का तर्क है कि ओटीटी ऐप्स पर भी नियामक निरीक्षण होना चाहिए

नई दिल्ली। इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनियों रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से व्हाट्सएप, गूगल के RCS और टेलीग्राम जैसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स के लिए नए नियम पेश करने की मांग की है।

किस बात पर जोर दे रहीं प्राइवेट सेक्टर की तीनों कंपनियां?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ये टेलीकॉम दिग्गज इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ओवर-द-टॉप (OTT) ऐप्स, जो इंटरनेट पर काम करते हैं, अब पारंपरिक मोबाइल फोन ऑपरेटरों के समान सर्विस प्रदान कर रहे हैं। लेकिन इन ऐप्स पर नियामक निरीक्षण की कमी है।

टेलीकॉम कंपनियां क्यों कर रही हैं रेगुलेशन की मांग?
रेगुलेशन की मांग इसलिए की गई है क्योंकि ये मैसेजिंग ऐप तेजी से पारंपरिक टेक्स्ट और वॉयस कॉल के विकल्प बन गए हैं। Airtel ने इस मुद्दे को खासतौर पर उठाया है, यह बताते हुए कि नियामक बाधाओं की अनुपस्थिति और वैश्विक पहुंच के कारण ये OTT सर्विस तेजी से विकसित हो रही हैं। उनका तर्क है कि इन ऐप्स को भी वही नियम लागू किए जाने चाहिए जो टेलीकॉम कंपनियों पर होते हैं।

नए रूल्स से कस्टमर को क्या होगा बेनीफिट?
इन नए नियमों के लागू होने से क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। अगर ट्राई इन कंपनियों की मांग को स्वीकार करता है, तो संभव है कि ये मैसेजिंग ऐप्स भी टेलीकॉम कंपनियों की तरह नियामक निरीक्षण (Regulatory oversight) के दायरे में आ जाएं। इससे न केवल यूजर डेटा की सुरक्षा में सुधार हो सकता है, बल्कि सर्विस की क्वालिटी और ट्रांसपरेंसी में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।

 

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