तमिलनाडु के इस गांव में जूते-चप्पल पर सख्त बैन, जानिए अनोखी वजह जो हैरान कर देगी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 2, 2024, 2:27 PM IST

तमिलनाडु के एक अनोखे गांव में जूते-चप्पल पहनने पर बैन है, और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता आपको चौंका देगी। जानिए इस परंपरा के बारे में और क्यों बाहरी लोगों पर इसका दबाव नहीं बनाया जाता।

Tamil Nadu Village No Shoes: भारत विविधता का देश है, जहां हर क्षेत्र और गांव की अपनी खास परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं। आपने बिजली और पानी न​ मिलने वाले गांवों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी गांव है जहां लोग चप्पल नहीं पहनते? आज हम आपको तमिलनाडु के एक ऐसे अनोखे गांव के बारे में बताएंगे, जहां लोग नंगे पैर रहते हैं और इसकी वजहें गहरी धार्मिक मान्यताओं में छिपी हैं।

पुराने रीति-रिवाजों के साथ जी रहें अंडमान के लोग

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 450 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अंडमान के नाम से जाना जाता है। यह गांव एक दूरदराज इलाके में बसा हुआ है, जहां आधुनिकता की चकाचौंध नहीं पहुंची है। यहां के लोग अपनी प्राचीन परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ जीते हैं, जिनमें से सबसे खास है बिना चप्पल के रहना।

नंगे पैर रहना दिनचर्या का हिस्सा

इस गांव में चप्पल पहनना सामान्य बात नहीं है। यहां बच्चे स्कूल जाते समय चप्पल नहीं पहनते, किसान खेतों में काम करते समय नंगे पैर रहते हैं, और यहां तक कि तपती धूप में भी लोग बिना चप्पल के चलते हैं। नंगे पैर रहना यहां की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है, और यह परंपरा हर पीढ़ी द्वारा निभाई जाती है।

बच्चे नंगे पैर जाते हैं स्कूल

आपके लिए यह अजीब लग सकती है कि बच्चे बिना चप्पल के स्कूल जाते हैं, लेकिन अंडमान गांव में यह एक सामान्य बात है। यहां बच्चे नंगे पैर ही स्कूल जाते हैं और इस प्रथा को विद्यालय और शिक्षक भी स्वीकार करते हैं। यहां यह परंपरा इतनी गहरी है कि कोई भी इसके बारे में सवाल नहीं करता।

किसान भी नहीं पहनते चप्पल

इस गांव के किसान भी चप्पल नहीं पहनते हैं। चाहे धूप हो या बारिश, किसान बिना किसी सुरक्षा के नंगे पैर ही खेतों में काम करते हैं। इनके लिए यह न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है, बल्कि जमीन से जुड़े रहने का एक प्रतीक भी है। जबकि बाहरी लोग इसे कठिन मान सकते हैं, गांव के लोग इसे सामान्य जीवन का हिस्सा मानते हैं।

गांव वालों को नहीं होता गर्मी का एहसास

यह और भी आश्चर्यजनक तब लगता है जब गांव के लोग तपती धूप में भी नंगे पैर चलते हैं। जब जमीन इतनी गर्म हो जाती है कि उस पर पैर रखना मुश्किल हो जाता है, तब भी यहां के लोग बिना चप्पल के चलते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने इस स्थिति के साथ सामंजस्य बना लिया है और अब उन्हें गर्मी का अहसास भी नहीं होता।

कब पहनते हैं चप्पल?

हालांकि अधिकतर लोग नंगे पैर रहते हैं, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में बुजुर्ग लोग चप्पल पहनते हैं। जब मौसम बहुत गर्म हो जाता है, तब भी कुछ लोग अपने हाथ में चप्पल लेकर चलते हैं और गांव की सीमा पार करने के बाद ही उन्हें पहनते हैं। लेकिन गांव के भीतर, नंगे पैर रहना उनकी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस परम्परा के पीछे है ये धार्मिक मान्यता

इस अद्भुत परंपरा के पीछे धार्मिक मान्यताएं हैं। गांव के लोग मानते हैं कि उनकी रक्षा मुथ्यालम्मा नामक देवी करती हैं। देवी के सम्मान में ही गांव के लोग नंगे पैर रहते हैं। उनका मानना है कि चप्पल पहनना देवी का अपमान करने के बराबर होगा, इसलिए वे इस परंपरा का पालन पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं।

गांव के बाहर लोग पहनते हैं चप्पल

जब गांव के लोग अंडमान से बाहर जाते हैं, तब वे चप्पल पहनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। गांव की सीमा के बाहर जाने पर वे अपने जूते-चप्पल पहन लेते हैं। उदाहरण के लिए, जब वे किसी और शहर या कस्बे में जाते हैं, तो गांव की सीमा पार करते ही चप्पल पहन लेते हैं क्योंकि वहां यह नियम लागू नहीं होता।

बाहरी लोगों पर चप्पल उतारने का नही बनाते दबाव

अगर कोई बाहरी व्यक्ति गांव में आता है, तो गांववाले उन्हें अपने परंपराओं के बारे में बताते हैं। वे विनम्रता से आगंतुकों से कहते हैं कि अगर वे चाहें तो चप्पल उतार सकते हैं। हालांकि, वे इसे किसी पर थोपते नहीं हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना चप्पल के रहना चाहता है, तो गांववाले खुश होते हैं, लेकिन अगर कोई अपने जूते-चप्पल नहीं उतारना चाहता, तो उसे जबरन ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता।

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