इन बदलावों से कमजोर होगा वक्फ बोर्ड, जानें क्यों छिड़ा विवाद?

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के तहत प्रस्तावित बदलावों से वक्फ बोर्ड को कमजोर करने के आरोपों के बीच राजनीति गर्मा गई है। विपक्ष इसे अवैध मानता है, जबकि सरकार इसे आवश्यक सुधार बता रही है। 

नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विवाद ने हाल के दिनों में राजनीति को गर्मा दिया है। वक्फ बोर्ड, जो मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सोशल प्रॉपर्टी मैनेज करता है, इस विधेयक में प्रस्तावित बदलावों के कारण चर्चा में है। विपक्ष का आरोप है कि ये संशोधन वक्फ बोर्ड को कमजोर करेंगे, जबकि सरकार इसे समय की मांग बता रही है।

क्या है वक्फ बोर्ड?

वक्फ बोर्ड भारत में एक कानूनी निकाय है, जो मुस्लिम समुदाय की दान में दी गई प्रॉपर्टी मैनेज करता है। यह मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों, और एजूकेशन इंस्टीट्यूट के लिए प्रॉपर्टीज की देखरेख करता है। वक्फ बोर्ड प्रॉपर्टी के रेंट, रखरखाव और विवादों के निपटारे का काम करता है। यह तय करता है कि प्रॉपर्टी का यूज सही धार्मिक और सोशल कामों के लिए हो। 

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में प्रस्तावित ये 4 बड़े बदलाव

1. नए विधेयक के अनुसार, वक्फ संपत्ति से जुड़े मामलों में ट्रिब्यूनल के फैसले को अब रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

2. पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का निर्णय अंतिम माना जाता था, लेकिन अब उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति दी जाएगी। 

3. अब वक्फ संपत्ति वही होगी जिसे वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से दान दिया गया हो। मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थानों को वक्फ संपत्ति मानने के लिए अब साक्ष्यों की जरूरत होगी।

4. पहली बार, वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं और अन्य धर्मों के दो प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

सोमवार को हुई JPC की आखिरी मीटिंग

आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के लिए बनी JPC की आखिरी मीटिंग सोमवार को आयोजित की गई। सत्ताधारी दल के मेंबर्स ने बहुमत के साथ एनडीए सरकार के सुझाए सभी प्रस्तावों को स्वीकारा, जबकि विपक्षी दलों के सांसदों के प्रपोजल रिजेक्ट कर दिए गए। विपक्ष का आरोप है कि अवैध तरीके से प्रपोजल पास कराया गया है। सांसद जगदम्बिका पाल जेपीसी की अगुवाई कर रहे हैं।

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