Interim Bail: क्या होती है अंतरिम जमानत? 22 दिन की जमानत के दौरान अरविंद केजरीवाल को माननी पड़ेंगी ये शर्तें

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published May 10, 2024, 3:30 PM IST

Interim Bail: सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2024 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब खत्म हो चुकी शराब नीति घोटाले के सिलसिले में 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी । न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने फैसला सुनाया।

Interim Bail: सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2024 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब खत्म हो चुकी शराब नीति घोटाले के सिलसिले में 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी । न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने फैसला सुनाया कि नई शराब उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपों का सामना करने वाले अरविंद केजरीवाल को 2 जून तक आत्मसमर्पण करना होगा और जेल लौटना होगा। केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी ने 4 जून को मतगणना के एक दिन बाद 5 जून तक अंतरिम जमानत का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

Interim Bail: किन शर्तों के तहत मिली है अरविंद केजरीवाल को जमानत?
अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने के बाद लोगों जिज्ञासा बढ़ गई है। अंतरिम जमानत 01 जून तक के लिए दी गई है। ऐसे में केजरीवाल चुनावों के लिए प्रचार कर सकेंगे। हालांकि कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अंतरिम जमानत पर बाहर होने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें कोई भी आधिकारिक कर्तव्य निभाने की अनुमति नहीं होगी। क्या होती है अंतरिम बेल? किन परिस्थितियों में और किसे दी जाती है ये बेल? ऐसे तमाम सवाल लोगों के दिमाग में कौंधने लगे हैं। चलिए आपको बताते हैं कि क्या होती है अंतरिम जमानत और इसे कोर्ट किसे और कब देता है। 

Interim Bail: किसे और कब मिलती है अंतरिम जमानत?

  1. अंतरिम जमानत कुछ समय के लिए दी जाने वाली जमानत है।
  2. यह किसी भी एप्लीकेशन की पेंडेंसी के दौरान अदालत द्वारा दी जाती है।
  3. यह जमानत तब तक दी जाती है, जब तक कि रेगुलर या एंटीऑप्टिटरी जमानत के लिए एप्लीकेशन कोर्ट के सामने लंबित नहीं होता है।
  4. अंतरिम जमानत हमेशा कुछ शर्तों के साथ दी जाती है, जिन्हें पूरा करने करा आवश्यक होता है। 
  5. जमानत की डेट खत्म होते ही आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
  6. अंतरिम जमानत रद्द करने की कोई विशिष्ट प्रक्रिया नहीं होती। अगर डेट खत्म हो जाती है तो इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
  7. अंतरिम जमानत कोर्ट में लंबित अग्रिम या नियमित बेल एप्लीकेशन के दौरान दी जाने वाली जमानत का एक टंप्रेरली रूप है।
  8. यह एक्यूज्ड को एक  संक्षिप्त रिलीफ प्रोवाइड कराती है। उन्हें टंप्रेरली कस्टडी से रिलीज कराती है। 
  9. यह सशर्त है और परिस्थितियों के आधार पर इसे बढ़ाया जा सकता है।
  10. अंतरिम जमानत की शर्ते इस हिसाब से तय की जाती हैं जिससे आरोपी इस मामले की जांच को प्रभावित न कर सके।
  11. अंतरिम जमानत देना न देना पूरी तरह से कोर्ट का फैसला होता है और कोर्ट इस पर नियमों के दायरे में रहकर फैसला लेता है।


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