RBI सख्त रूल्स - अब ग्राहक को लोन सारे ऑप्शन की जानकारीं देंगी कर्ज देने वाली कंपनियां

By Surya Prakash TripathiFirst Published Apr 27, 2024, 4:24 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन के वेब एग्रीगेटर्स के क्षेत्र में ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। जिससे ग्राहकों से फेयर डील हो सके। RBI ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंकों के एजेंट के तौर पर काम कर रहे लोन सेरिस प्रोवाइडर्स (LSP) के लिए नए नियमों का प्रस्ताव दिया है।

RBI new rules for loan e-aggregators: ग्राहकों को अपने भ्रामक प्रचार प्रसार में फंसाकर लोन देने वाली कंपनियों पर आरबीआई ने सख्त रुख अपनाया है। आरबीआई ने एक गाइडलाइन जारी करके स्पष्ट किया है कि कोई भी कंपनी अपने ग्राहक को लोन देने से पहले लोन के सारे आप्शन ग्राहकों को अवश्य बताए। उसमें किसी प्रकार की लुकाछिपी की स्थिति नहीं होनी चाहिए। 

RBI ने LSP के लिए नए रूल्स का दिया प्रस्ताव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन के वेब एग्रीगेटर्स के क्षेत्र में ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। जिससे ग्राहकों से फेयर डील हो सके। RBI ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंकों के एजेंट के तौर पर काम कर रहे लोन सेरिस प्रोवाइडर्स (LSP) के लिए नए नियमों का प्रस्ताव दिया है। जिसमें कहा गया है कि LSP अपने पास होने वाली लोन की सारी डिटेल्स कस्टमर्स को दें। केंद्रीय बैंक ने बांटे जाने वाले पर्सनल लोन्स पर ऋणदाताओं को फिनटेक कंपनियों द्वारा दी जाने वाली नुकसान डिफ़ॉल्ट गारंटी से संबंधित गाइडलाइन पर क्लीयरटी प्रदान की है। 

RBI new rules for loan e-aggregators क्या है?
नई गाइडलाइन के मुताबिक ऋण सेवा प्रदाताओं (LSP) को लोन लेने वाले की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सभी इच्छुक कर्जदाताओं के पास उपलब्ध प्रस्तावों का डिजिटल ब्योरा देना चाहिए, जिसमें लोन देने वाली इकाई का नाम, लोन अमाउंट और टाइम पीरियड के अलावा एनुअल परसेंटेज रेट और बाकी शर्तों की डिटेल्स होनी चाहिए। केंद्रीय बैंक द्वारा इस प्रस्ताव पर 31 मई तक टिप्पणी करने को कहा है।टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम उपभोक्ता हितों की रक्षा करते हुए डिजिटल ऋणदाताओं के लिए एक मजबूत ढांचा सुनिश्चित करने की आरबीआई की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

RBI new rules for loan e-aggregators ने दिया है ये निर्देश
किसी विशेष ऋण का चयन करने के लिए भ्रामक तरीकों से उधारकर्ताओं को प्रभावित करने का कोई भी प्रयास सख्ती से वर्जित है। RBI ने फिनटेक फर्मों को नियंत्रित करने वाले नियमों को भी कड़ा कर दिया है जो डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी के माध्यम से क्रेडिट जोखिम लेते हुए लोन देते हैं। आरबीआई ने पहले अधिकतम गारंटी को लोन रेट के 5% पर सीमित कर दिया था। न्यू अपडेट में आरबीआई ने कहा है कि जिस पोर्टफोलियो के लिए ऐसी गारंटी दी जाती है, वह स्थिर रहना चाहिए और लोन के डायनेमिक पूल पर आधारित नहीं होना चाहिए। 


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