mynation_hindi

हरियाणा का ये गांव US राष्ट्रपति जिमी कार्टर के नाम पर क्यों?

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Dec 30, 2024, 02:04 PM ISTUpdated : Dec 30, 2024, 02:08 PM IST
हरियाणा का ये गांव US राष्ट्रपति जिमी कार्टर के नाम पर क्यों?

सार

जानें हरियाणा के गांव का नाम "कार्टरपुरी" जिमी कार्टर के नाम पर कैसे पड़ा। 1978 में उनकी भारत यात्रा, इस गांव का दौरा और उनकी मां के इस गांव से जुड़ाव की पूरी कहानी।

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का भारत के साथ गहरा संबंध रहा है। साल 1977 में जब आपातकाल हटा और जनता पार्टी के सिर पर जीत का सेहरा बंधा। उसके बाद वह भारत आने वाले पहले यूएस प्रेसीडेंट थे। तब उनकी भारत यात्रा इतनी खास थी कि हरियाणा का एक छोटा सा गांव उनके नाम से प्रसिद्ध हो गया। यह गांव आज “कार्टरपुरी” के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं, इस गांव का नाम जिमी कार्टर के नाम पर क्यों रखा गया?

दौलतपुर नसीराबाद से बना कार्टरपुरी

1978 में, अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जिमी कार्टर ने भारत की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव का दौरा किया। उन्होंने इस गांव में समय बिताया, स्थानीय लोगों से मुलाकात की और ग्रामीण जीवन को करीब से देखा। उनकी इस यात्रा से प्रभावित होकर, तत्कालीन सरकार और ग्रामीणों ने गांव का नाम बदलकर "कार्टरपुरी" रख दिया। तब राष्ट्रपति कार्टर को सम्मान स्वरूप हरियाणवी पोशाक भी भेंट की गई थी।

हरियाणा का यह गांव ही क्यों चुना गया?

जिमी कार्टर का हरियाणा के इस गांव से जुड़ाव कोई संयोग नहीं था। कहा जाता है कि उनकी मां बेसी लिलियन कार्टर इस गांव का दौरा किया करती थीं। उनका यहां के लोगों के साथ विशेष संबंध था। राष्ट्रपति कार्टर के मन में भारत के गांवों की सादगी और ग्रामीण जीवन देखने की इच्छा थी। दिल्ली के पास होने के कारण यह गांव चुना गया।

जिमी कार्टर के भारत दौर के मायने

जिमी कार्टर का 1978 का भारत दौरा न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि इसके कई राजनीतिक और सामाजिक मायने भी थे। उन्होंने भारतीय संसद में स्पीच देते हुए देश के डेमोक्रेसी की तारीफ की थी और सत्तावादी शासन के खिलाफ आवाज उठाई। उनके दौरे ने भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत किया।

कार्टरपुरी का नाम कैसे बना पहचान?

जिमी कार्टर की भारत यात्रा ने इस गांव को इंटरनेशनल लेबल पर पहचान दी। उनके सम्मान में ग्रामीणों ने गांव का नाम बदल दिया। जब जिमी कार्टर को साल 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला, तो गांव ने इसे उत्सव की तरह मनाया। जिमी कार्टर की भारत यात्रा की याद में हर साल 3 जनवरी को गांव में छुट्टी होती है।

ये भी पढें-महाकुंभ में खोए हुए व्यक्तियों को ढूंढने का ये है मास्टर प्लान

PREV

Recommended Stories

IMAX Surat Launch: राजहंस सिनेमा ने रचा इतिहास, सूरत को मिला भारत का सबसे बड़ा आईमैक्स मल्टीप्लेक्स
IMAX Surat Launch: राजहंस सिनेमा ने रचा इतिहास, सूरत को मिला भारत का सबसे बड़ा आईमैक्स मल्टीप्लेक्स
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ने को तैयार! जानें इसकी खासियत, रूट और चुनौतियां
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ने को तैयार! जानें इसकी खासियत, रूट और चुनौतियां