इस वीडियो सीरीज में लेखक हिंदोल सेनगुप्ता यह मिथक तोड़ देंगे कि जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के 'शिल्पकार' सरदार पटेल थे। सेनगुप्ता ने ऐतिहासिक दुष्प्रचार के दस्तावेज को अपनी आने वाली किताब 'द मैन हू चेंज इंडिया' और शृंखला में चुनौती दी है।
हिंदोल सेनगुप्ता के अनुसार, आम धारणा यह है कि सरदार वल्लभभाई पटेल संविधान के अनुच्छेद 370 के शिल्पकार थे। यह जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने से जुड़ा है। दरअसल, यह धारणा सच नहीं है। सरदार पटेल के साथ करीब से काम करने वाले वी शंकर ने साफतौर पर कहा है कि पटेल को न तो इस अनुच्छेद के मसौदे का पता था और न ही इसके ब्यौरे की जानकारी थी। यह पंडित नेहरू की ओर से शेख अब्दुला को किए वादे के तहत हुआ। इसका मसौदा गोपालस्वामी अयंगर ने तैयार किया था। वह उस समय नेहरू के साथ काम कर रहे थे। सरदार ऐसे किसी भी दर्जे को दिए जाने से सहमत नहीं थे, लेकिन संसद और कांग्रेस में इस पर आम सहमति बनने के बाद पटेल पर इसके पालन का भार आ गया था, क्योंकि उस समय नेहरू दौरे पर थे। पटेल जितना इसे रोकने के लिए कर सकते थे, उन्होंने किया। वह इससे पूरी तरह असहमत थे। यहां तक कि बाबा साहब अंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि बंटवारे के बाद किसी एक राज्य को इस तरह का दर्जा दिया जाना सही नहीं होगा। यह भारत के लिए घातक होगा। बावजूद इसके अनुच्छेद 370 को आगे बढ़ाया गया। पटेल ने बार-बार कहा कि वह इससे सहमत नहीं हैं। लिहाजा, इन सभी हालात को देखते हुए पटेल को अनुच्छेद 370 का शिल्पकार कहना गलत होगा।
अगले अंक में देखिए कश्मीर में पटेल ने कैसे ली गोवलकर की मदद।