2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा किए हमले में अमेरिकी नागरिकों सहित करीब 166 लोगों की जान चली गई थी। पुलिस ने नौ आतंकवादियों को मौके पर मार गिराया था और जिंदा गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अजमल कसाब को बाद में फांसी दी गई थी।
मुंबई आतंकी हमले में शामिल पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक को भारत लाने की तैयारी हो रही है। 2008 में हुए आतंकवादी हमले की साजिश के मामले में अमेरिका में तहव्वुर राणा 14 साल की सजा काट रहा है। सूत्रों के अनुसार, राणा भारत भेजे जाने की ‘प्रबल संभावना’ है।
भारत सरकार ट्रंप प्रशासन के ‘पूरे सहयोग’ के साथ पाकिस्तानी कैनेडियाई नागरिक के प्रत्यर्पण के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर रही है। राणा की जेल की सजा दिसंबर 2021 में पूरी होने वाली है।
मुंबई 26/11 हमले की साजिश के मामले में राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा किए हमले में अमेरिकी नागरिकों सहित करीब 166 लोगों की जान गई थी। पुलिस ने नौ आतंकवादियों को मौके पर मार गिराया था और जिंदा गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अजमल कसाब को बाद में फांसी दी गई थी।
राणा को 2013 में 14 साल की सजा सुनाई गई थी। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार उसे दिसंबर 2021 में रिहा किया जाएगा। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र के अनुसार, ‘यहां सजा पूरी होने पर राणा को भारत भेजे जाने की ‘प्रबल संभावना’ है।’ सूत्र ने कहा कि इस दौरान जरूरी कागजी कार्रवाई और जटिल प्रक्रिया को पूरा करना एक ‘चुनौती’ है।
भारत का विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय तथा कानून एवं विधि मंत्रालय और अमेरिकी विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय सभी की अपनी प्रत्यर्पण प्रक्रिया है। उसने कहा कि जब प्रत्यर्पण की बात आती है तो वे अपनी प्रक्रिया को ना धीमा करना चाहते हैं और ना ही तेज करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) प्रक्रिया की समयसीमा और नौकरशाही संबंधी औपचारिकताओं को कम करने के लिए अपने अमेरिकी समकक्षों से सीधे संपर्क कर सकती है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, राणा का प्रत्यर्पण दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करेगा, आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा देगा और भारतीयों के बीच अमेरिका की छवि को बेहतर बनाएगा।
ट्रंप प्रशासन ने नवम्बर 2018 को 26/11 की 10वीं बरसी पर हमले में शामिल लोगों को न्याय के दायरे में लाने का अपना संकल्प दोहराया था। अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता के दौरान भी इस मामले को उठाया था। अमेरिका में आंशिक रूप से ठप पड़े सरकारी कामकाज का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने राणा के प्रत्यर्पण के सवाल पर प्रतिक्रिया देने में अपनी असमर्थता जाहिर की।
भारतीय दूतावास और राणा के वकील ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। (इनपुट भाषा से)