अमेरिका-ईरान में समझौता कराने की कोशिश में जुटा है फ्रांस

By Team MyNation  |  First Published Aug 26, 2019, 1:41 PM IST

फ्रांस में जी-7 देशों की बैठक चल रही है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए ईरान के विदेश मंत्री अचानक फ्रांस के बिआरित्ज शहर पहुंच गए हैं। हालांकि ईरान जी-7 का सदस्य नहीं है। लेकिन उसके विदेश मंत्री के अकस्मात वहां पहुंचने से अंदाजा लगाया जा रहा है कि फ्रांस ने अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश के तहत उन्हें बुलाया है। 
 

बिआरित्ज: फ्रांस के इस शहर में चल रहे जी-7 देशों के बीच ईरान के विदेश मंत्री ने पहुंचकर सबको चौंका दिया। ईरान  जी-7 में शामिल देशों में एक नहीं है फिर भी उसे विशेष निमंत्रण देकर बुलाया गया है। जिसे देखकर लगता है कि फ्रांस ने अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे गतिरोध को तोड़ने का फैसला किया है। 

ईरान से बातचीत की पहल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने की है। उन्ही के निमंत्रण के बाद सम्मेलन का हिस्सा न होने के बावजूद ईरान के विदेश मंत्री रविवार को बिआरित्ज पहुंचे हैं।

ईरान के प्रवक्ता के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि उनके विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ फ्रांस के बिआरित्ज शहर पहुंच चुके हैं। जिन्हें फ्रांस ने ही आने का न्यौता दिया था। 

ईरान के प्रवक्ता ने साफ तौर पर कहा कि फ्रांस ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वजह से पैदा हुए तनाव को कम करने की कोशिश में जुटा हुआ है। ईरान के साथ 2015 में हुए समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है।  

इस तनाव को घटाने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने पिछले कुछ हफ्तों में कई बार  ईरान के राष्ट्राध्यक्ष हसन रूहानी से फोन पर बातचीत की है। 

बिआरित्ज के सूत्रों के मुताबिक फ्रांस के ईरान संबंधी मामलों में दिलचस्पी लेने का उद्देश्य ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोकना और उसकी वजह से पूरे इलाके में पैदा हुए तनाव को रोकना है। 

इसके पहले फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने बयान दिया था कि ईरान को क्या संदेश देना है इसपर जी-7 देश सहमत हो गए हैं। 

जी-7 के देशों में  फ्रांस, जर्मनी, यूके, इटली, अमेरिका, कनाडा और जापान शामिल हैं। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। आज बिआरित्ज में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की पीएम मोदी से मुलाकात होने वाली है। दोनों नेताओं के बीच कश्मीर सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। 

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