आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन पर चुप्पी साधने के लिए यूएन सदस्यों को भारत की लताड़

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन भारत ने कहा कि विश्व निकाय के रुप में संयुक्त राष्ट्र अपने गठन के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसके नवीनीकरण के लिए तथा उसे और अधिक मजबूत बनाने के प्रयास करने चाहिए।

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संयुक्त राष्ट्र-- भारत ने आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर चुप रहने को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों को लताड़ लगाई है। भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में अपनी निक्रिष्यता और जड़ता के कारण ‘‘यथास्थिति के संरक्षक’’ बन गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन भारत ने कहा कि विश्व निकाय के रुप में संयुक्त राष्ट्र अपने गठन के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसके नवीनीकरण के लिए तथा उसे और अधिक मजबूत बनाने के प्रयास करने चाहिए।

‘‘महासभा के पुनरुद्धार का काम’’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की चर्चा में विश्व निकाय में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने कहा कि ऐसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश यथास्थिति के सरंक्षक बन गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, आतंकवाद जैसे खतरों का प्रसार हो रहा है जिनसे निबटने के लिए व्यापक सहयोग और तीव्र तकनीकी बदलाव की जरूरत है। हमारी चुनौतियां बहुत कठिन हो गई हैं।’’

स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि लोग जो बोते हैं वहीं काटते हैं। उन्होंने कहा कि पुनरुद्धार का एजेंडा कूटनीति के लिए चुनौती है लेकिन अगर हम शांतिपूर्ण और खुशहाल 21वीं सदी के आयामों को बढ़ाना चाहते हैं तो यह चुनौती लेने लायक है।

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