ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों का विरोध करेगा भारत, अमेरिकी संसद में पेश रिपोर्ट में दावा

By Team MynationFirst Published Sep 21, 2018, 9:45 AM IST
Highlights

अमेरिका की तरफ से इरान पर लागाए गए प्रतिबंधों का भारत विरोध कर सकता है। यह बात अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत इस तरह के मामलों में संयुक्तराष्ट्र संघ की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का ही पालन करता है। 


अमेरिका की तरफ से इरान पर लागाए गए प्रतिबंधों का भारत विरोध कर सकता है। यह बात अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत इस तरह के मामलों में संयुक्तराष्ट्र संघ की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का ही पालन करता है। 

अमेरिकी संसद की शोध एवं परामर्श इकाई कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की 11 सितंबर को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा गया कि, पारंपरिक तौर पर भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्रसुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का ही पालन करता है। इसके अलावा भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए भी ईरान पर निर्भर करता है। हालांकि ट्रंप सरकार ईरान पर प्रतिबंध से संबंधित मुद्दों पर भारत से बातचीत कर रही है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार नवंबर तक ईरान से तेल का आयात बंद नहीं करने वाले देशों और कंपनियों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत की सामान्यत: यह स्थिति रही है कि वह सिर्फ संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का ही पालन करता है। इससे यह आशंका उठती है कि ईरान से तेल नहीं खरीदने संबंधी अमेरिकी प्रतिबंध का भारत प्रतिरोध कर सकता है।’’ 

सीआरएस ने कहा कि भारत और ईरान की सभ्यता एवं इतिहास आपस में जुड़े हुए हैं। वे विभिन्न रणनीतिक मुद्दों पर भी एक-दूसरे से संबंधित हैं।

उसने कहा कि भारत में शिया मुसलमानों की करोड़ों की आबादी है। दोनों देश ऐतिहासिक तौर पर अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन करते आये हैं।

सीआरएस ने कहा कि 2010 से लेकर 2013 के बीच जब ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध कड़े हो रहे थे, भारत ने ईरान से पुराने संबंध को बनाए रखा था।

इनके अलावा भारत की ईरान की कुछ ऐसी परियोजनाओं में भी काम कर रहा है जिसका आर्थिक और रणनीतिक महत्व का है। 

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत लंबे समय से ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में लगा हुआ है जिससे बनने से चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को झटका लग सकता है। इस बंदरगाह के बन जाने से भारत की पहुंच अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया में पाकिस्तान पर निर्भर रहे बिना हो जाएगी। 

रिपोर्ट में भारत की तरफ से चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को गेहूं की आपूर्ति का जिक्र किया गया है। 

click me!