विक्रमसिंघे खुद को हटाने के फैसले को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह उपनिवेशवाद के दौर में बने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास टेंपल ट्री रेजिडेंस से नहीं जाएंगे। उनके आवास के बाहर बौद्ध भिक्षु लगातार प्रार्थना कर रहे हैं।
श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघ ने चेताया है कि देश में 'खूनी संघर्ष' टालने का समय तेजी से खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि संसद आने वाले दिनों में इस संवैधानिक संकट को हल कर लेगी लेकिन ऐसा नहीं होता है तो देश को खूनी संघर्ष झेलने से कोई नहीं रोक सकता।
विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना बर्खास्त कर चुके हैं। राष्ट्रपति ने एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में 26 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश का नया पीएम घोषित कर दिया। हालांकि विक्रमसिंघे अब भी प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में जमे हुए हैं, जिसके बाहर उनके हजारों समर्थकों ने घेरा डाल रखा है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा है कि कुछ निराश लोग भारतीय उपमहाद्वीप में उपद्रव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
विक्रमसिंघे खुद को हटाने के फैसले को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह उपनिवेशवाद के दौर में बने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास टेंपल ट्री रेजिडेंस से नहीं जाएंगे। उनके आवास के बाहर बौद्ध भिक्षु लगातार प्रार्थना कर रहे हैं।
विपक्ष की ओर से अपने कदम के खिलाफ किसी कवायद की आशंका के मद्देनजर राष्ट्रपति सिरीसेना संसद का सत्र निलंबित कर चुके हैं। इस द्वीपीय राष्ट्र में चल रहे सत्ता संघर्ष में अब तक एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो चुकी है। विक्रमसिंघे ने कहा है, मैं अपने समर्थकों से अपील करता हूं कि वे शांति बनाए रखें और हिंसक विद्रोह का रास्ता न अपनाएं। हालांकि, परिस्थितियां अगर बिगड़ीं तो समर्थकों का धैर्य टूट भी सकता है।
इससे पहले, राष्ट्रपति सिरीसेना ने कहा था कि ‘उद्दंड’ बर्ताव के चलते विक्रमसिंघे को बर्खास्त किया गया है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा, ‘विक्रमसिंघे श्रीलंका के भविष्य को अपने इर्दगिर्द के ऐसे लोगों की मंडली के लिए मौज-मस्ती की चीज समझते दिखे जिन्हें आमजन की सोच की जरा भी समझ नहीं है। उन्होंने सुशासन की अवधारणा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया जबकि भ्रष्टाचार और बरबादी हर तरफ आम हो गई।’
हालांकि सियासी उठापटक के बीच श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने रानिल विक्रमसिंघे को बड़ी राहत दे दी थी। स्पीकर ने राष्ट्रपति सिरीसेना को एक पत्र लिखकर 16 नवंबर तक सदन को निलंबित करने के उनके फैसले पर भी सवाल उठाया। कहा कि इससे देश को 'गंभीर एवं अवांछनीय' परिणाम भुगतने पड़ेंगे। विक्रमसिंघ के बारे में कहा कि उन्होंने 'लोकतंत्र एवं सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल किया है।'
संसद में महिंदा राजपक्षे और सिरिसेना के पास कुल 95 सीटें हैं। इस तरह, 225 सदस्यों वाले सदन में साधारण बहुमत के आंकड़े से वे कुछ पीछे हैं। बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के पास 106 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ सात सीटें कम पड़ रही हैं। यूएनपी ने दावा किया है कि राष्ट्रपति ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि 72 वर्षीय राजपक्षे के पास सदन में बहुमत नहीं है।