आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का दोगलापन फिर आया सामने

By Team MyNation  |  First Published Feb 15, 2019, 3:06 PM IST

मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों से भारत ने अपील की थी। 

Pulwama Attack: China again declines India request on Jaish Chief Masood Azhar

आतंकवाद पर चीन का दोहरा रवैया फिर बेनकाब हुआ है। उसने पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा तो की लेकिन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराए जाने की भारत की अपील का समर्थन करने से एक बार फिर इनकार कर दिया।

जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद और कई अन्य घायल हुए हैं। जैश के एक आत्मघाती हमलावर ने 100 किलोग्राम विस्फोटक से लदे वाहन से बस को टक्कर मार दी।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने पत्रकारों से कहा, 'चीन आत्मघाती हमले की खबरों से वाकिफ है। हम इस हमले से गहरे सदमे में हैं और मृतकों तथा घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त करते हैं।'

गेंग ने कहा, 'हम आतंकवाद के किसी भी रूप की कड़ी निंदा और पुरजोर विरोध करते हैं। उम्मीद है कि संबंधित क्षेत्रीय देश आतंकवाद से निपटने के लिये एक दूसरे का सहयोग करेंगे और इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के लिये मिलकर काम करेंगे।'

अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, जहां तक सूचीबद्ध करने की बात हैं, मैं बस यही बता सकता हूं कि सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के आतंकवादी संगठनों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया और नियम स्पष्ट हैं।" 

अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों से भारत की अपील के बारे में उन्होंने कहा, 'जैश-ए-मोहम्मद को सुरक्षा परिषद की आतंकवाद प्रतिबंध सूची में रखा गया है। चीन संबंधित प्रतिबंधों के मुद्दे से रचनात्मक और जिम्मेदार तरीके से निबटना जारी रखेगा।'

पाकिस्तान के करीबी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति प्राप्त चीन अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने की भारत की कोशिशों को कई बार विफल कर चुका है। उसका कहना है कि इस मुद्दे को लेकर सुरक्षा परिषद में कोई सहमति नहीं है।
 

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