नई दिल्ली: अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की उपासना विशेष रुप से की जाती है। आज अक्षय तृतीया के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है जो कि पूरे एक दशक बाद हो रहा है। आज चार ग्रह यानी सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहु अपनी उच्च की राशि में गोचर करेंगे। 

इससे पहले साल 2003 में कुछ इस तरह का योग बना था। 

आज सोना खरीदने का शुभ मुहुर्त-
7 मई  सुबह 6.26 बजे से रात 11.47 बजे तक 

अक्षय तृतीया  माता लक्ष्मी का दिन है, इस दिन उनकी विशेष रुप से पूजा की जाती है।

आज का पूरा दिन शुभ मुहुर्त रहता है। इस दिन कभी भी माता लक्ष्मी की उपासना की जा सकती है। लेकिन संध्या काल में जब दिन ढल रहा होता है और रात्रि का आगमन हो रहा होता है, तब मां लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदायी होती है। 

पूजन विधि- लक्ष्मी नारायण का चित्र लेकर पूजा स्थल पर स्थापित करें। गृहस्थों को कमल पर विराजमान माता लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। उन्हें गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, गुड़ से उन्हें स्नान कराएं। 
इसके बाद प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से धोएं। 
घी का दीपक जलाएं, फिर रोली का तिलक अर्पित करें और तुलसी के पत्ते डालकर मिश्री चढ़ाएं। 
गणपति का आह्वान करके 'ऊँ गणेशाय नम:' मंत्र का पांच बार जप करें। 
माता लक्ष्मी को लाल वस्त्र और सफेद मिठाई का भोग लगाएं। 
इसके बाद माता लक्ष्मी और श्री हरि का ध्यान करते हुए श्रीसूक्त का पाठ करें। 
यदि श्रीसूक्त का पाठ नहीं कर सकते हैं तो 'ऊँ लक्ष्मीनारायणाय नम:' मंत्र का 108 बार कमलगट्टे की माला से जप करें। 
या फिर लक्ष्मी गायत्री मंत्र 'ऊँ श्री महालक्ष्मयै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात' मंत्र से भी भगवती का पूजन कर सकते हैं। किसी भी मंत्र को 108 बार जपें। 
इसके अतिरिक्त आदि शंकराचार्य रचित कनकधारा स्रोत का भी पाठ कर सकते हैं। 

अक्षय तृतीया के दिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके घर या बाहर की महिलाएं माता लक्ष्मी का स्वरुप होती हैं, उनका किसी तरह भी अपमान न करें। कटु वचन न बोलें और उन्हें उपहार देकर प्रसन्न करें।