घट स्थापना 
6 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है यानी नवरात्रि का का पहना दिन। इस दिन सुबह आठ बजे से लेकर दस बजे कर स्थिर लग्न चल रहा है। इस दौरान सुबह आठ बजे से लेकर साढ़े नौ बजे तक शुभ चौघड़िया मुहुर्त भी चल रहा है। अतएव घट स्थापना का उत्तम मुहुर्त सुबह आठ बजे से लेकर नौ बजे के बीच हो तो उत्तम है। 

वास्तु की दृष्टि से किसी भी धार्मिक या मांगलिक अनुष्ठान के लिए ईशान कोण ही उत्तम माना जाता है। इसलिए घर में नवरात्रि के लिए घट की स्थापना अपने घर या पूजा वाले कमरे के ईशान कोण में करें। यदि ईशान कोण में स्थान नहीं है तो पूर्व या उत्तर दिशा में भी घट स्थापना की जा सकती है। 

पूजा विधि

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन ब्रह्म मुहुर्त में सूर्योदय के साथ ही स्नान कर लें। 

निर्धारित स्थल पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी का निर्माण करें। 

इस मिट्टी पर पर जौ के दानों का छिड़काव करें। 

वेदी की स्थापना के बाद उसपर रोली, चंदन, हल्दी अर्पित करके उसकी पजा करें। 

फिर उसपर जल से भरा कलश स्थापित कर दें। 

कलश में सुपारी, सिक्के डाल दें। उसमें आम के पत्ते इस तरह रख दें कि वह आधा अंदर और आधा बाहर की तरफ हो।

इसके बाद कलश के मुख पर चावल से भरा ढक्कन रख दें। 

इन चावलों के उपर लाल कपड़े में लपेटा हुआ सूखा नारियल स्थापित करें। 

कलश के गले में लाल मौली या चुनरी बांध दें। 

कलश पर रोली से लक्ष्मी गणेश बनाएं। 

कलश के सामने दीपक जलाकर मां जगदंबा सहित सभी देवताओं के विराजमान होने का आह्वान करें। 

कलश के सामने पान के पत्ते और सुपारी चढ़ाएं। 

ऋतुफल(मौसमी फल), मिष्टान्न अर्पित करें। 

पाठ शुरु करने से पहले गणेश जी की पूजा करें। 

इसके बाद अपना गुरुमंत्र या देवी सप्तशती या सिद्धकुंजिका स्रोत का पाठ करें।(पाठ शुरु करने से पहले गुरु की राय जरुर लें)

यदि गुरु की राय लेना संभव नहीं हो तो नवार्ण मंत्र(ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै) का अपनी श्रद्धानुसार 108 बार जप करें। 

इसके बाद देवी की आरती करें।

फिर यदि संभव हो तो नवार्ण मंत्र की जप के दशम भाग की आहुति अग्नि में प्रदान करें। हवन के लिए आम की लकड़ी या फिर उपले का प्रयोग करें। 

पूजा संपन्न हो जाने के बाद जगदंबा से अपने गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना जरुर करें। 

देवी की पूजा होने के बाद किसी बालिका को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। 

यदि आप नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो आपके लिए साबुन, तेल, सुगंधित पदार्थ, मदिरा, स्त्रीसंग, तम्बाकू, ताम्बूल(पान) आदि पदार्थ नौ दिनों के लिए वर्जित रहेंगे। 

व्रत के दौरान कंबल बिछाकर भूमि पर शयन करें। 

अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार अन्नत्याग या एक समय अन्न ग्रहण करने का नियम बनाएं।