Maria Wirth

contributormynation+mariawirth@gmail.com

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    Indian should be proud on his knowlledge

    अपने ज्ञान पर गर्व करना सीखो भारत

    Nov 21, 2018, 7:56 PM IST

    ऐसा लगता है कि  जब पश्चिम के लोग भारतीयों की सराहना करेंगे तभी भारतीयों को अपने प्राचीन ज्ञान की इस अलौकिक संपदा का अहसास होगा। 

    lets become fundamentalist hindu

    तो चलिए हम सब 'रुढ़िवादी' हिंदू बन जाते हैं

    Oct 24, 2018, 7:25 PM IST

     इस इक्कीसवी सदी में हमारे लिये यह उचित समय है जब हम एक समुदाय को दूसरे समुदाय के विरोध में खड़ा करने वाले हानिकारक, अप्रमाणित रुढ़िवाद का त्याग करें? सब से अच्छा विकल्प है कि हम हिंदू मूलतत्वों का अनुसरण करें। तो चलें, हम सब मनुष्यों में, कुदरत में और पशुओं में भी ईश्वरत्व देखनेवाले रुढ़िवादी हिंदू बनें। इससे संपूर्ण विश्व का लाभ होगा।

    God and Allah is not Parbrahm parmeshwar

    ‘परमब्रह्म परमेश्वर’ से अलग हैं ‘गॉड’ और ‘अल्लाह’

    Oct 15, 2018, 4:03 PM IST

    प्राचीनकाल में जब ईसाईयत और इस्लाम का कोई अस्तित्व नहीं था, तब सर्वोच्च सत्य के बारे में वैदिक धर्म की समझ बहुत ही परिपक्व थी। हिंदू परंपरा में परमसत्य को ब्रह्म के नाम से जाना जाता है। यह सबसे सूक्ष्म, अदृश्य, जागृत जैसे समस्त संसार का आधार है। ऋषियों ने उद्घोषणा की, कि ब्रह्म वह नहीं है जिसे आंखें देखती हैं, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से आंखें देख पाती हैं। ब्रह्म वह नहीं है जिसे मस्तिष्क सोचता है, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से मस्तिष्क सोच पाने में सक्षम हो पाता है। यह बात अब्राहमिक धर्मों के भगवान के लिए नहीं कही जा सकती। 

    Can we please be clear about religious extremism?

    आखिर कब हम मजहबी कट्टपंथ के बारे में अपना नजरिया साफ करेंगे?

    Oct 6, 2018, 6:13 PM IST

    पाकिस्तानी राजनयिक का व्यवहार कुछ इस तरह का है, जैसे पाकिस्तान को ईश्वर की ओर से यह अधिकार मिला है, कि वह अपने नागरिकों पर इस्लाम को थोपे। तो क्या भारत को अपनी सदियों पुरानी परंपरा की वकालत करने का अधिकार नहीं है, जो कि एक व्यक्ति के साथ साथ समाज के लिए भी बेहद लाभदायक साबित हुआ है। 

    Sanatana Dharma should be well propgated

    सनातन धर्म का प्रसार अति आवश्यक है।

    Sep 29, 2018, 4:14 PM IST

    केवल हिन्दू अथवा सनातन धर्म ही ऐसा है जो विभाजनकारी तथा साम्प्रदायिक नहीं है। मात्र यही शाश्वत धर्म समस्त सृष्टि को एक कुटुम्ब के रूप में देखता है। यही धर्म बिना किसी निबन्धन के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत को परिलक्षित करता है।