ऑटो डेस्क । मोदी सरकार देश मे पहला इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने जा रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते दिनों राजस्थान के दौसा में इसका ऐलान किया है। केंद्र सरकार ये इलेक्ट्रिक हाईवे (electric highway) दिल्ली से जयपुर के बीच बनाने जा रही है।  इस हाईवे पर  इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ते नजर आएंगे। सरकार की इस पहलर प्रदूषण में भारी कमी आएगी। इसके साथ पेट्रोल-डीजल की खपत भी कम होगी। 

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

इस हाईवे पर  इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ते नजर आएंगे। सरकार की इस पहल से प्रदूषण में  कमी आएगी। इसके साथ पेट्रोल-डीजल की खपत भी कम होगी। 

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

इलेक्ट्रिक ट्रेन रूट की तर्ज पर बनेगा इलेक्ट्रिक हाईवे 
 ट्रेन के ऊपर एक इलेक्ट्रिक वायर तो आपने देखा ही होगा, ट्रेन का इंजन इससे ही कनेक्ट होता है।  इसी तरह हाइवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाएंगे। इलेक्ट्रिक हाइवे पर दौड़ रहे वाहनों को इससे करंट मिलेगा । इस हाईवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए  चार्जिंग पॉइंट भी लगाए जाएंगे।

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

दिल्ली और जयपुर के बीच बनेगा पहला इलेक्ट्रिक हाईवे  (electric highway)
नितिन गडकरी ने ऐलान किया है कि दिल्ली और जयपुर के बीच  पहला इलेक्ट्रिक हाईवे  (electric highway) बनाया जाएगा। 200 किलोमीटर की लंबाई वाले इस हाईवे को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ ही एक नई लेन पर बनाया जाएगा। ये लेन पूरी तरह इलेक्ट्रिक होगी और इसमें केवल और केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही दौड़ेंगे । केंद्र सरकार इसके लिए स्वीडन की प्रतिष्ठित कंपनियों से डील कर रही है।

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

इलेक्ट्रिक हाईवे का ऐेसे होगा निर्माण
दुनिया में तीन अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक हाईवे  (electric highway) में इस्तेमाल होती हैं। स्वीडन में उपयोग की जाने वाली टेक्नालॉजी भारत के हिसाब से मुफीद है, इसलिए ये संभावना है कि देश में ये काम स्वीडन की कंपनियां करें। बता दें कि  स्वीडन में पेंटोग्राफ मॉडल इस्तेमाल किया जाता है, जो भारत में ट्रेनों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सड़क के ऊपर एक वायर लगाया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी का फ्लो किया जाता है। एक पेंटोग्राफ के जरिए इस इलेक्ट्रिसिटी को वाहन में सप्लाई किया जाता है। ये इलेक्ट्रिसिटी डायरेक्ट इंजन को पॉवर देती है या वाहन में लगी बैटरी को चार्ज करती है। स्वीडन और जर्मनी में जो इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल होते हैं, उनमें हाइब्रिड इंजन होता है, यानी वे इलेक्ट्रिसिटी के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल से भी चल सकते हैं। ये तकनीक इसलिए भी भारत में कारगर हो सकती है। 

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

भारत में इन समस्याओं का करना होगा सामना
पूरे देश में ऐसे हाईवे के  लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप  करना बड़ी चुनौती है। ये विकसित देश के लिए काम बेहद खर्चीला और इसमें समय भी ज्यादा लगता है। केवल इलेक्ट्रिक हाइवे बनाना ही काफी नहीं है। इस पर चलने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन की भी पर्याप्त संख्या में होने चाहिए। पेट्रोल-डीजल से चल रहे वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने में लंबा समय लग सकता है । पेट्रोल- डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए बैटरी बनाना भी एक मुश्किल काम हो सकता है।  इसमें कई तरह  केमिकल का यूज होगा जो  पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं। 

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे
लंबी दूरी के ट्रांसपोर्ट में लगे वाहनों को  इलेक्ट्रिसिटी से चलाये जाने की योजना पर काम चल रहा है। स्वीडन और जर्मनी में डायरेक्ट सप्लाई केवल ट्रक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल हो रहे वाहनों में ही दी जाती है। वहीं इस मार्ग का ज्यादा उपयोग हो  सके इसके लिए निजी इलेक्ट्रिक वाहनों को इस ट्रेक पर चलने की अनुमति दी जा सकती है।  वहीं इसके लिए कुछ किलमोमीर की दूरी पर चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। जहां आप अपना वाहन चार्ज कर सकते हैं।

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

दुनिया के इन देशों में है ई-हाईवे
इलेक्ट्रिक हाईवे का इस्तेमाल स्वीडन और जर्मनी में किया जा रहा है। स्वीडन ई-हाईवे शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है। स्वीडन ने 2016 में ई-हाइवे का परीक्षण शुरू किया था और 2018 में पहला ई-हाईवे शुरू किया। स्वीडन के बाद जर्मनी ने 2019 में इलेक्ट्रिक हाईवे की शुरुआत की। ये हाईवे 6 मील लंबा है। इस हाईवे के अलावा जर्मनी ने बसों के लिए वायरलेस इलेक्ट्रिक रोड भी बनाया है। ब्रिटेन और अमेरिका में भी ई-हाईवे पर काम प्रोगेस पर है।

E highway to be built in India on the lines of Sweden-Germany, corridor like electric train will be made

ई-हाईवे से महंगाई पर लगेगी लगाम 
ई-हाईवे पर वाहनों की सस्ती आवाजाही होगी, इससे महंगाई कम होगी । केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की दी गई जानकारी के मुताबिक  ई-हाईवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में 70% की कमी आएगी। ये पूरी तरह इको फ्रेंडली होंगे। वाहनों को चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पेट्रोल-डीजल के मुकाबले सस्ती होगी और पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होगी।