इंदौर। गुजरात के दाहोद जिले में एक 30 साल के चरवाहे ने एक रेल हादसा होने से बचा लिया। दिल्ली-मुंबई रूट पर एक जगह रेलवे ट्रैक टूटा पड़ा देखा तो उसने दो किमी दूर तक दौड़ लगाई और मालगाड़ी को लाल झंडी दिखाकर रोक लिया। घटना की जानकारी लोको पायलट को दी। जिसके बाद जांच की गई तो मामला सच निकला। घटना बुधवार की है। रतलाम मंडल के रेलवे अधिकारियों ने चरवाहे को 5 हजार रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

दाहोद इलाका पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में आता है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, दाहोद में चरवाहा राकेश बरिया (30 साल) बुधवार को रेलवे पटरी के किनारे जानवर लेकर जा रहा था। उसने देखा कि रास्ते में रेल पटरी टूटी पड़ी है। बारिया ने तुरंत दौड़ लगाई और लाल कपड़ा लहराकर मालगाड़ी को रोक लिया, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई।

बकरियां चराते वक्त देखा कि रेल पटरी तो टूटी है
बरिया के सराहनीय कार्य के बारे में रतलाम के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) विनीत गुप्ता को पता चला तो उन्होंने अपने कार्यालय में आमंत्रित किया और उन्हें 5,000 और एक प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मानित किया। उनकी सूझ-बूझ और तत्परता की प्रशंसा की। सम्मानित होने के बाद बरिया ने कहा कि जब वह अपनी बकरियां चरा रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक जगह रेलवे ट्रैक टूटा हुआ है, जिसके बाद वह अलार्म बजाने की सूचना देने के लिए एक किलोमीटर तक दौड़े। लेकिन, वहां कोई रेलवे कर्मचारी नहीं दिखा। 

रेलवे से नहीं हो सका संपर्क, फिर लाल कपड़ा लेकर दौड़ा चरवाहा
बारिया कहते हैं कि फिर मैंने अपने पिता को फोन किया और टूटी रेल पटरी की जानकारी दी। उन्होंने कुछ रेल कर्मियों से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन बातचीत नहीं हो सकी। बाद में अपने पिता की सलाह के अनुसार वह पास में स्थित अपने घर गया और लाल कपड़े के टुकड़े के साथ ट्रैक पर लौट आया। 

दो किमी दूर जाकर बैठा, मालगाड़ी आते ही रोक लिया
बारिया ने कहा कि बाद में वह टूटी पटरी वाली जगह से करीब दो किलोमीटर दूर बैठ गए और एक मालगाड़ी को देखकर लाल कपड़ा लहराने लगे। उसे देखते ही लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया। इसके बाद रेल पटरी की मरम्मत का काम शुरू किया गया। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि टूटे हुए ट्रैक की मरम्मत कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस व्यस्त रूट से रोजाना करीब 125 ट्रेनें गुजरती हैं, इनमें यात्री और मालगाड़ियां शामिल हैं।