गुरुग्राम. हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अरावली जैव विविधता पार्क(Biodiversity Park) को इंटरनेशनल संस्था OECMs ने आधिकारिक मान्यता(recognition) दी है। यह किसी भी जैव विविधता पार्क के लिए गौरव की बात होती है। OECMs दुनियाभर में जैव विविधता को संरक्षित करने और उन्हें बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में को प्रोत्साहित करती है। अरावली पर्वत की बंजर जमीन में 200 प्रकार पेड़-पौधे खड़े करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पारिस्थिति विज्ञान शास्त्री( ecologist) विजय धस्माना(Vijay Dhasmana) ने शेयर की पूरी कहानी।

अरावली पर्वत श्रंखला में पहले माइन्स थीं। क्रेशर हुआ करते थे। 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बैन लगा दिया था। उसके बाद गुड़गांव म्यूनिसिपल कार्पोरेशन ने अपने अंदर ले लिया। तब iamgurgaon एक NGO है, उसने कार्पोरेशन से संपर्क किया कि इसमें जैव विविधता पार्क(Biodiversity Park) बनाना चाहिए। कार्पोरेशन को यह आइडिया पसंद आया। उसने इसके लिए सहमत दी। इसके बाद iamgurgaon मुझसे संपर्क किया कि मैं इस दिशा में उनकी मदद करूं। फिर हमने उसके लिए एक विजन बनाया कि क्या होना चाहिए Biodiversity Park में? तब हम सबकी समझ में यही आया कि हमको अरावली पर्वत की जो श्रंखला है, उसके जंगल लुप्त होते जा रहे हैं। दुर्लभ होते जा रहे हैं। उसको हमको लाना चाहिए वापस। उसकी वनस्पति(vegetation) को वापस लाना चाहिए।

200 पौधों की लिस्ट बनाई
अपने विजन को आगे बढ़ाते हुए हमने 200 जंगली पौधों(wild plants) की लिस्ट बनाई। ये पौधे हैं, जो प्राइवेट नर्सरी में तो मिलते ही नहीं हैं, बल्कि जंगलों में भी कम दिखाई देते हैं। इसके बाद हमने बीज कलेक्शन का काम किया। मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित माधव नेशनल पार्क से लेकर अलग-अलग जगहों से बीज कलेक्ट किए। इसके बाद हमने नर्सरी बनाई। इसके बाद पौधों iamgurgaon ने गुड़गांव के कार्पोरेट, वन्य प्रेमियों और वॉलिंटियर्स को जोड़ा। फिर प्लांटेशन ड्राइव की। इसमें हमने अलग-अलग तरह के जंगलों बनाया है। इस तरह कई सालों तक प्लांटेशन ड्राइव चलती रही। संक्षिप्त में कह सकते हैं कि हमने 200 जाति के पौधे लगाए। इनमें 100 प्रकार के पेड़ हैं। कई तरह की झाड़ियां हैं, हर्ब्स(herbs-जड़ी-बूंटियां) हैं। करीब 1.25 लाख पेड़-झाड़ियां लगाए होंगे। यह जो जगह है, वो करीब 380 एकड़ है।

200 तरह के पक्षियों का हेबेटेट बना
आज अरावली Biodiversity Park 200 से अधिक पक्षियों का हेबिटेट हब(habitat-प्राकृतिक आवास) बन गया है। यहां पर लेपर्ड(तेंदुआ) तो नहीं है, पर कई तरह के जंगली जानवरों का वास हो चुका है। नील गाय हैं, Jackal (शियार), कबरबिज्जू हैं। यहां कई तरह के सांप हैं, कोबरा आदि। इनकी पॉपुलेशन बहुत अच्छी है। इस वन को 10-11 साल हो गए हैं। अब इसमें जो नए पौधे उग रहे हैं, वो जंगली पौधे हैं। वो एक सफलता है।

एक ट्रेनिंग सेंटर हो गया है
आज अरावली Biodiversity Park एक ट्रेनिंग सेंटर हो गया है। यहां फारेस्ट डिपार्टमेंट के लोग नए रिक्रूट्स(नई नियुक्तियों) को ट्रेनिंग के लिए लाते हैं। रिसर्च कर रहे हैं बहुत सारे लोग। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हों या जेएनयू के हों। लोग घूमने तो आते ही हैं।
 
OECMs के बारे में
अन्य प्रभावी क्षेत्र आधारित संरक्षण उपाय यानी OECMs (Other effective area-based conservation measures) दुनियाभर की इकोसिटी को संरक्षित और प्रोत्साहित करने वाली एक इंटरनेशनल संस्था है।  यह जरूरी नहीं कि दुनियाभर में जो इकोसिटी है, वो किसी जगह विशेष पर ही हो। जैसे-नेशनल पार्क या सेंचुरी में ही जो  Biodiversity है, वो उसी में ही नहीं बची है। वो खेतों में भी बची है,चारागाहों में भी बची है। ऐसे कई जंगल हैं, जिन्हें जंगल नहीं माना जाता है, वहां भी बची हुई है। ये स्टेटस निकाला गया, जिसमें दुनियाभर के तमाम देश  Biodiversity के हिसाब से जो हॉट स्पॉट हैं, उन्हें रजिस्टर्ड कर सकें।  यानी हर देश अपनी एक लिस्ट बनाता है कि ये हमारे OECMs हैं। उसी  OECMs के अंतर्गत  सर्वे होता है कि यहां कितनी Biodiversity है, जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए। यह गर्व का विषय भी होता है। भारत में ऐसे अभी 15-16 प्रपोजल डाले हैं, जिसमें सबसे पहला अरावली Biodiversity पार्क है, जिसे OECMs से प्रमाणित(recognition) कर दिया गया है।

जानिए अरावली जैव विविधता पार्क(Biodiversity Park) के बारे में
हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अरावली जैव विविधता पार्क 5 जून 2010 को विश्व पर्यावरण दिवस पर जनता के लिए खोला गया था। अरावली जैव विविधता पार्क, गुड़गांव (या अरावली जैव विविधता पार्क, गुड़गांव) गुरु द्रोणाचार्य मेट्रो स्टेशन के पास 153.7 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह उद्यान गुरु द्रोणाचार्य मेट्रो स्टेशन से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां प्रवेश निःशुल्क है।