लंबे समय से मुख्यमंत्री रहे लल थनहवला ने अपने गढ़ सेरछिप एवं चम्फाई दक्षिण की दोनों सीटें गंवा दी हैं। सेरछिप में लल थनहवला को जोराम पीपल्स मूवमेंट के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने 410 मतों के अंतर से हराया। लल थनहवला को चम्फाई दक्षिण सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार एवं राजनीति के नए खिलाड़ी टी जे लालनंतलुआंग ने 1,049 मतों के अंतर से पराजित किया।
हिंदी भाषी प्रदेशों के नतीजे जहां कांग्रेस के लिए अच्छी खबर लेकर आए वहीं पूर्वोत्तर में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी पूर्वोत्तर में अपना आखिरी किला मिजोरम भी हार गई है। 40 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी मोर्चे मिजो नेशनल फ्रंट ने 24 सीटें जीत ली हैं। दो अन्य पर उसके प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए हैं। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पांच सीटों तक सिमट गई। वहीं निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ने वाली जेडपीएम ने भी पांच सीटें जीती हैं। वहीं तीन पर बढ़त बनाए हुए है। मिजोरम में भाजपा का खाता भी खुल गया है। पार्टी ने यहां एक सीट जीती है।
लंबे समय से मुख्यमंत्री रहे लल थनहवला ने अपने गढ़ सेरछिप एवं चम्फाई दक्षिण की दोनों सीटें गंवा दी हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक सेरछिप में लल थनहवला को जोराम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा ने 410 मतों के अंतर से हराया। लल थनहवला को चम्फाई दक्षिण सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के उम्मीदवार एवं राजनीति के नए खिलाड़ी टी जे लालनंतलुआंग ने 1,049 मतों के अंतर से पराजित किया।
बहरहाल, मिजोरम में कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनाव में 34 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि एमएनएफ पांच सीट पर कब्जा कर पाई थी। एमएनएफ से 2008 में राज्य की सत्ता छिन गई थी।
मिजोरम का चुनाव हारने के साथ ही पार्टी का पूर्वोत्तर से सूपड़ा साफ हो गया है। खास बात यह है कि एमएनएफ एनडीए का घटक है। बावजूद इसके भाजपा ने यहां 39 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। कभी पूर्वोत्तर में एक भी सीट नहीं जीतने वाली भाजपा आज यहां सभी राज्यों में सत्ता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सत्ता में है। अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और असम में जहां भाजपा सीधे तौर पर सत्ता में है। वहीं मणिपुर और नगालैंड में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन सरकार है।
Last Updated Dec 11, 2018, 5:51 PM IST