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लेटरल एंट्री: क्या मोदी सरकार ने किसी दबाव में लिया फैसला, जानें NDA में किसने उठाई आपत्ति

सरकार ने यूपीएससी के लेटरल एंट्री के लिए जारी विज्ञापन को वापस लिया। विपक्ष की कड़ी आलोचना के बाद पीएम मोदी के निर्देश पर यह कदम उठाया गया। जानें पूरी जानकारी।

Surya Prakash Tripathi | Updated : Aug 20 2024, 03:41 PM
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लेटरल एंट्री को लेकर मोदी सरकार ने क्यो लिया यू टर्न?

लेटरल एंट्री को लेकर मोदी सरकार ने क्यो लिया यू टर्न?

नई दिल्ली। सेंट्रल गर्वनमेंट ने आज संघ लोक सेवा आयोग (UPSC ) से नौकरशाही में लेटरल एंट्री के लिए अपने विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा, विपक्ष द्वारा इस कदम की कड़ी आलोचना के बीच सरकार ने 180 डिग्री का U- टर्न लिया है।  इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के तहत लिया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस प्रॉसेस को सामाजिक न्याय के साथ जोड़ा जाना चाहिए। मोदी सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि UPSC के माध्यम से लेटरल एंट्री पारदर्शी, संस्थागत तरीके से की जाए और सामाजिक न्याय तथा आरक्षण के सिद्धांतों के अनुरूप हो।

 

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24 मंत्रालयों में 45 पोस्ट के लिए जारी हुआ था विज्ञापन

24 मंत्रालयों में 45 पोस्ट के लिए जारी हुआ था विज्ञापन

पिछले सप्ताह UPSC ने केंद्र सरकार के विभिन्न सीनियर पोस्ट पर लेटरल एंट्री के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें 24 मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, और डिप्यूटी सेक्रेटरी  के कुल 45 पोस्ट पर भर्ती होनी थी। इस कदम ने विपक्षी दलों में खलबली मचा दी, खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "दलितों पर हमला" करार दिया।

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रिजर्वेशन को लेकर मोदी सरकार सर्कुलर को करेगी रिवाइज

रिजर्वेशन को लेकर मोदी सरकार सर्कुलर को करेगी रिवाइज

जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसे वापस लेने का निर्णय लिया। केंद्र सरकार का मानना है कि लेटरल एंट्री में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि SC, ST और OBC के लिए रिजर्वेशन की अनुमति हो। मोदी सरकार सामाजिक न्याय प्रदान करने में सबसे आगे रही है। उसी के मद्देनजर और उद्योग तथा सामाजिक समूहों के लिए प्राप्त प्रतिनिधित्व के मद्देनजर सरकार सर्कुलर को फिर से रिवाइज कर रही है।

 

 

 

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लेटरल एंट्री में क्या है प्रीविजन?

लेटरल एंट्री में क्या है प्रीविजन?

इन लेटरल एंट्री को अब तक विशेष माना जाता था और सिंगल-कैडर पोस्ट के रूप में नामित किया गया था। इसलिए इन नियुक्तियों में रिजर्वेशन का कोई प्रावधान नहीं था। मोदी सरकार अब इस कमी को भी रिवाइज कर रही है और लेटरल एंट्री को न केवल एक इंस्टीट्यूशनल प्रॉसेस बनाकर बल्कि रिजर्वेशन लाकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित कर रही है।

 

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सेंट्रल मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने UPSC हेड को लिखा पत्र

सेंट्रल मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने UPSC हेड को लिखा पत्र

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC हेड को लिखे एक पत्र में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि लेटरल इंर्टी के प्रॉसेस को संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले लेटरल एंट्री के मामलों में कथित पक्षपात के उदाहरण सामने आए थे और मोदी सरकार ने इसे पारदर्शी और खुली प्रक्रिया बनाने का प्रयास किया है।

 

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लेटरल एंट्री का कब से शुरू हुआ कांसेप्ट?

लेटरल एंट्री का कब से शुरू हुआ कांसेप्ट?

लेटरल एंट्री का कांसेप्ट को पहली बार 2000 के दशक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के दौरान प्रस्तावित किया गया था। 2018 में मोदी सरकार ने इसे औपचारिक रूप से लागू किया। हालांकि, विपक्ष ने इस प्रॉसेस की आलोचना की है। यह आरोप लगाते हुए कि इससे SC, ST और OBC कैंडिडेटों के लिए रिजर्वेशन प्रावधानों को दरकिनार किया जा रहा है।

 

 

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राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को लेकर क्या कहा था?

राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को लेकर क्या कहा था?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि UPSC को दरकिनार करने और वंचित वर्गों को आरक्षण से वंचित करने के लिए लेटरल एंट्री का उपयोग किया जा रहा है। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले प्रशासनिक सुधार आयोग ने ही इस प्रक्रिया की सिफारिश की थी। सरकार का यह फैसला, जिसमें UPSC के लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द किया गया है, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

 

 

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NDA के इन सहयोगियों ने जताई आपत्ति

NDA के इन सहयोगियों ने जताई आपत्ति

कांग्रेस की आपत्ति के बाद NDA के सहयोगियों JDU और LJP (रामविलास) ने भी आपत्ति जताई। लोकसभा चुनावों में आरक्षण के मुद्दे पर तगड़ा झटका खा चुकी BJP ने इस मुद्दे पर राजनीति गरमाने से पहले कदम वापस ले लिए।
 

 

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BJP ने लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस पर बोला हमला

BJP ने लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस पर बोला हमला

बीजेपी की ओर से कहा गया है कि भारत में लेटरल एंट्री का एक विस्तृत इतिहास है, जो 1947 तक जाता है, जिसकी शुरुआत भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, जो राजनयिक सेवा में शामिल हुईं और कई देशों में भारत की राजदूत रहीं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस के दौर में लेटरल एंट्री सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं थे। इसलिए SC, ST और OBC को दरकिनार कर दिया गया।

Surya Prakash Tripathi
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