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IT डिपार्टमेंट 6 साल बाद टैक्स पेयर्स को भेजेगा एक ही नोटिस, जाने क्या है वजह?

ITR Filing Latest Update: सरकार ने टैक्स असिस्मेंट प्रॉसेस को तेजी से पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 6 साल के टैक्स असिस्मेंट की एक साथ जांच की जाएगी और एक ही नोटिस भेजा जाएगा। जानें नए बदलावों की डिटेल।     

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Surya Prakash Tripathi
Published : Jul 26 2024, 04:34 PM IST
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टैक्स असिस्मेंट प्रॉसेस में तेजी लाने के लिए उठाया गया  कदम

टैक्स असिस्मेंट प्रॉसेस में तेजी लाने के लिए उठाया गया कदम

ITR Filing Latest Update: टैक्स असिस्मेंट प्रॉसेस में तेजी लाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। वित्त विधेयक में इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन करके ऐसे मामलों की आकलन प्रक्रिया को कंसोलिडेशन करने का प्रस्ताव है, जो कई वर्षों से चले आ रहे हैं। इससे टैक्स पेयर्स को आसानी होगी और कामकाज में तेजी आएगी। इसके लिए आयकर अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। अलग-अलग वर्षों के आकलन के लिए अलग-अलग नोटिस भेजने के बजाय छह साल के आकलन के लिए करदाताओं को एक ही नोटिस भेजा जाएगा।

 

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टैक्सपेयर्स को राहत देने की तैयारी

टैक्सपेयर्स को राहत देने की तैयारी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि ऐसे मामलों में टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें तलाशी के बाद टैक्स चोरी की जांच की जाती है। अब ऐसे मामलों के 6 साल के आकलन को एक साथ जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद इनका निपटारा 12 महीने में करना होगा। इसके बाद टैक्सपेयर्स को एक ही डिमांड नोटिस भेजा जाएगा।

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पहले भेजे जाते थे अलग-अलग नोटिस

पहले भेजे जाते थे अलग-अलग नोटिस

वर्तमान में प्रत्येक टैक्स निर्धारण वर्ष के लिए अलग-अलग नोटिस भेजे जाते हैं।  इससे कार्यवाही में 10 वर्ष तक का समय लग जाता है। अग्रवाल ने कहा, "शुरू में सर्च मामलों में टैक्स  एसिस्मेंट 10 वर्ष तक के लिए खोला जा सकता था। इससे अलग-अलग वर्षों में कई नोटिस भेजे जाते थे। प्रत्येक नोटिस की टाइम लिमिट अलग-अलग होती थी। इससे कार्यवाही की संख्या बढ़ जाती थी, जिससे टैक्सपेयर्स और टैक्स अधिकारियों दोनों को परेशानी होती थी।"

 

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नोटिस पीरियड में होती थी बहुत लेट लतीफी

नोटिस पीरियड में होती थी बहुत लेट लतीफी

पहले की व्यवस्था में यदि एक वर्ष में नोटिस भेजा जाता था, तो उसका प्रभाव अगले वर्ष भी दिखाई देता था। लास्ट टाइम लिमिट डेट कई वर्षों तक चलती थी। मामलों के समाधान में कम समय लगेगा। सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि पहले की व्यवस्था में विवाद के मामलों में वृद्धि हुई, जिससे उन्हें हल करने में भी अधिक समय लगा।

 

 

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टैक्स असिस्मेंट के लिए तय की गई है टाइम लिमिट

टैक्स असिस्मेंट के लिए तय की गई है टाइम लिमिट

टैक्स की दुनिया में टाइम-लिमिट का अर्थ है वह डेट, जिसके पहले टैक्स अधिकारियों के लिए टैक्स असिस्मेंट पूरा करना और टैक्स पेयर्स को नोटिस जारी करना आवश्यक होता है। यदि इस टाइम-लिमिट का पालन नहीं किया जाता है, तो टैक्स निर्धारण टाइम-लिमिट समाप्त हो जाता है। इसका मतलब यह है कि टैक्स अधिकारी उस पीरियड के दौरान एक्स्ट्रा टैक्स का आकलन करने का कानूनी अधिकार खो देते हैं।

 

 

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6 साल के टैक्स असिस्मेंट की एक साथ की जाएगी जांच

6 साल के टैक्स असिस्मेंट की एक साथ की जाएगी जांच

CBDT ने इस समस्या से निपटने के लिए इंटीग्रेटेड असिस्मेंट एप्रोच पेश किया है। अग्रवाल ने कहा कि छह साल के टैक्स असिस्मेंट की एक साथ जांच की जाएगी। फिर सभी वर्षों के लिए एक ही नोटिस और एक ही असिस्मेंट आर्डर भेजा जाएगा। इससे पिछली व्यवस्था में अलग-अलग वर्षों के लिए अलग-अलग नोटिस भेजने की जरूरत खत्म हो जाएगी। नए रिजीम से टैक्स असिस्मेंट से जुड़ी जटिलताएं खत्म होंगी और कार्यवाही में भी कम समय लगेगा।

 

 

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असिस्मेंट पूरा करने की भी तय की गई टाइम लिमिट

असिस्मेंट पूरा करने की भी तय की गई टाइम लिमिट

CBDT चेयरमैन ने बताया कि लास्ट  प्राधिकरण के 12 महीने के भीतर अनिवार्य रूप से असिस्मेंट पूरा करना होगा। यह टैक्स पेयर्स और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दोनों के लिए काफी सुविधाजनक होगा।" कंसोलिडेशन से अपील के मामले भी प्रभावित होंगे। अग्रवाल ने कहा कि 1 सितंबर 2024 और उसके बाद की गई तलाशी के मामलों में इनकम टैक्स एक्टम में किए गए नए संशोधन का पालन करना होगा।

 

 

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