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Railways Lower Berth Rules: रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही मिलेगी ये सुविधा और विशेष कैटेगरी रिजर्वेशन

भारतीय रेलवे के लोअर बर्थ नियमों को जानें और यात्रा के दौरान असुविधा से बचें। जानें कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक मिडिल बर्थ कैसे काम करती है, लोअर बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए दिन के नियम और सीट रिजर्वेशन के नियम।

Surya Prakash Tripathi | Updated : Jul 31 2024, 01:22 PM
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लोवर और मिडिल बर्थ का क्या है रेलवे का रूल?

लोवर और मिडिल बर्थ का क्या है रेलवे का रूल?

Lower Berth Rules: अक्सर देखा जाता है कि रेलवे के नियमों से अननोन लोग या तो यात्रा के दौरान परेशान रहते हैं या फिर दूसरे यात्रियों को परेशान करते हैं। खासकर मिडिल और लोअर बर्थ से जुड़े नियमों को लेकर यात्रियों में काफी असमंजस की स्थिति रहती है। जिसके चलते कई बार यात्री आपस में लड़ने भी लगते हैं। ज्यादातर लोगों की पसंदीदा सीट लोअर बर्थ या साइड लोअर बर्थ होती है। लोअर सीट पर सफर करने से पहले इससे जुड़े नियमों को जानना भी बेहद जरूरी है, ताकि आपकी वजह से आपको या दूसरे यात्रियों को यात्रा के दौरान कोई परेशानी न हो।

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रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही मिलेगी ये सुविधा

रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही मिलेगी ये सुविधा

अगर आपकी सीट लोअर है तो रेलवे के नियमों के मुताबिक मिडिल बर्थ वाला यात्री रात 10 बजे से पहले और सुबह 6 बजे के बाद अपनी बर्थ खोलकर आपको परेशान नहीं कर सकता है। अक्सर देखा जाता है कि मिडिल बर्थ वाला यात्री ट्रेन शुरू होते ही अपनी बर्थ खोल लेता है। जिससे लोअर बर्थ वाले यात्री को काफी परेशानी होती है। रेलवे के नियमों के मुताबिक मिडिल बर्थ वाले यात्री दिन में ऐसा नहीं कर सकते हैं। मिडिल बर्थ वाला यात्री रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही अपनी बर्थ खोलकर सो सकता है।
 

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लोवर बर्थ वालों को दिन में करना होगा ये काम

लोवर बर्थ वालों को दिन में करना होगा ये काम

रेलवे के नियमों के मुताबिक साइड लोअर बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्री को दिन में साइड अपर बर्थ वाले यात्री को बैठने की जगह देनी होगी। रेलवे नियमों के मुताबिक अगर लोअर बर्थ पर पहले से दो RAC यात्री यात्रा कर रहे हैं तो भी उन्हें अपर बर्थ वाले व्यक्ति को सीट देनी होगी।

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अगर यात्री मना कर दे तो क्या होगा?

अगर यात्री मना कर दे तो क्या होगा?

कई बार देखा गया है कि कुछ यात्री ट्रेन में यात्रा करते समय नियमों से अनजान होते हैं। जिसके कारण कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए रेलवे ने खास नियम बनाए हैं। अगर कोई यात्री तय समय से पहले या बाद में मिडिल बर्थ खोलने की जिद करता है तो उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है। आप इसकी शिकायत TTE से कर सकते हैं। TTE रेलवे पुलिस की मदद से उस यात्री को ऐसा करने से रोक सकता है।

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लोअर बर्थ को क्यो किया गया है रिजर्व?

लोअर बर्थ को क्यो किया गया है रिजर्व?

लोअर बर्थ ज्यादातर लोगों की पहली पसंद होती है। लेकिन, ताजा जानकारी के मुताबिक रेलवे ने अब कुछ खास कैटेगरी के लोगों के लिए लोअर बर्थ को रिजर्व कर दिया है। रेलवे ने दिव्यांग या शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए ट्रेन की लोअर बर्थ को रिजर्व कर दिया है।

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ऑनबोर्ड टिकट चेकिंग के दौरान क्या बदल सकते हैं सीट?

ऑनबोर्ड टिकट चेकिंग के दौरान क्या बदल सकते हैं सीट?

इसके अलावा भारतीय रेलवे सीनियर सिटिजंस को बिना मांगे लोअर बर्थ देता है। 45 वर्ष या उससे अधिक एज की महिलाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए ट्रेन के स्लीपर क्लास में 6 से 7 लोअर बर्थ, थर्ड AC के प्रत्येक कोच में 4-5 लोअर बर्थ, सेकंड AC के प्रत्येक कोच में 3-4 लोअर बर्थ रिजर्व हैं। रेलवे उन्हें बिना कोई ऑप्शन चुने भी लोअर बर्थ अलॉटमेंट कर देता है। अगर किसी सीनियर सिटिजंस, दिव्यांग या गर्भवती महिला को टिकट बुकिंग के दौरान ऊपर की सीट मिलती है, तो TT द्वारा उन्हें ऑनबोर्ड टिकट चेकिंग के दौरान नीचे की सीट देने का भी प्रोविजन है।

Surya Prakash Tripathi
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