हेल्थ डेस्क: इस वक्त दुनिया में डायबिटीज पेशेंट्स की संख्या 537 मिलियन के करीब है। इसमें 20 साल से 79 साल तक के लोग शामिल है। लगभग 6 साल बाद संख्या बढ़कर  643 मिलियन के करीब हो जाएगी। लो मिडिल इंकम देशों में 4 वयस्कों में 3 लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं। दुखद ये है कि इन देशों में ट्रेंड प्राइमरी केयर डॉक्टर्स की कमी है। डायबिटीज के कारण सीरियस आई कंडीशन से लेकर डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए जांच की सीमित पहुंच है। इस समस्याओं को देखते हुए चाइना और सिंगापुर के साइंटिस्ट ने मिलकर AI टूल बनाया है। जानिए डायबिटीज केयर के लिए  AI टूल का क्या रोल है।

डायबिटीज के डायग्नोज और ट्रीटमेंट संबंधित स्टडी

सिंघुआ यूनिवर्सिटी, शंघाई जियाओ टोंग यूनिवर्सिटी और सिंगापुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक GPT-4 सिस्टर इंवेंट किया है। इस सिस्टम की मदद से फिजिशियंस को पर्सनाइज्ड डायबिटीज केयर गाइडेंस के बारे में जानकारी मिलेगी।  

नेचर मेडिसिन में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक DeepDR-LLM लैंग्वेज प्लेटफॉर्म को डायबिटीज के डायग्नोज और ट्रीटमेंट रिकमेंडेशन के लिए डिजाइन किया गया है। टीम ने एक ओपन-सोर्स LLM का इस्तेमाल कर 267,730 पार्टिसिपेंट्स की मदद की। 

टूल बढ़ाएगा डायबिटीज केयर का परसेंटेज

डायबिटीज केयर टूल की मदद से डाबिटीज पेशेंट्स की प्राइमरी केयर सटीक तरीके से होगी। स्टडी के दौरान जानकारी मिली कि सिस्टम की मदद से पेशेंट्स की डायबिटीज केयर बढ़कर 92.3% तक हो गई। यानी किसी डायबिटिक पेशेंट्स की जांच में एआई टूल की मदद से गंभीर बीमारियों को पहचान पहले करने में मदद मिलेगी।

डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?

डायबिटीज के कारण शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी आंखों की एक कंडीशन है जिसके कारण व्यक्ति को दृष्टि हानि या फिर अंधापन भी हो सकता है। रेटिना यानी की आंख के पीछे के जो टिशु होते हैं,उनमे उपस्थित ब्लड वेसल्स डायबिटीज के कारण प्रभावित होती है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या है तो उसे समय-समय पर अपनी आंखों का परीक्षण जरूर करना चाहिए।

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