आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है जिसके कारण मां बाप बनने की ख्वाहिश अधूरी रह जाती है। पहले के ज़माने में इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दम्पत्ति के लिए मां बाप का सपना लगभग टूट जाता था था लेकिन आज इनफर्टिलिटी से परेशान लोगों के लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं है।
हेल्थ डेस्क। हमारे समाज में विवाह के बाद अगर किसी औरत को बच्चा न पैदा हो तो उसे तरह-तरह के ताने सुनने पड़ते हैं। एक समय के बाद महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। समय के साथ साथ इंसान ने साइंस के जरिए कई समस्याओं का समाधान निकाला और इसी में एक है निसन्तान जोड़ों के लिए मां-बाप बनने का सुख देना। आईवीएफ (IVF ) निसंतान दंपति के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जिसके लिए कुछ खास प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। जानते हैं आईवीएफ के लिए शारीरिक योग्यता और प्रक्रिया जिसके जरिए एक महिला मां बनने का सुख हासिल करती है।
कब जरूरत पड़ती है आईवीएफ की
प्राकृतिक रूप से अगर महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो जांच करना जरूरी होता है । हार्मोनल इंबैलेंस (Hormonal Imbalance ) पीसीओडी (PCOD ) ओवुलेशन मे प्रॉब्लम, अनियमित मेंस्ट्रूअल साइकिल (Irregular Menstrual Cycle ) और फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक है तो आईवीएफ ही एक ऑप्शन होता हैमां बनने के लिए । पुरुषों में अगर शुक्राणु की कमी होती है या शुक्राणुओं की स्पीड कम होती है तो IVF एकमात्र विकल्प होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है की पुरुष और महिला दोनों में कोई कमी नहीं होती लेकिन कंसीव करने में दिक्कत आती हैं।
क्या होता है आईवीएफ
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जिससे पैदा होने वाले बच्चों को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby ) का नाम दिया जाता था और पहले यह ट्रीटमेंट बहुत कम हुआ करते थे लेकिन अब हर जगह दर्जनों आईवीएफ सेंटर खुल चुके हैं। इस प्रक्रिया में महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणुओं को मिलाया जाता है और इसी मेल से भ्रूण बनता है। जब भ्रूण बनकर तैयार होता है तब उसे महिला के गर्भ में रख दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक हफ्ते का टाइम लगता है। इस दौरान रेगुलर बेसिस पर चेकअप कराना होता है ताकि कोई कमी बची हो तो डॉक्टर उसको सही कर सके।
क्या आईवीएफ में प्रेगनेंसी की गारंटी होती है
अक्सर लोगों में इस बात को लेकर कन्फ्यूजन होता है की आईवीएफ से प्रेगनेंसी होगी या नहीं होगी। डॉक्टर पूरी तरह से कोशिश करता है कि आईवीएफ से बच्चा कंसीव हो जाए। लेकिन कई बार यह फेल भी हो जाता है। कुछ लोगों को तीसरे या चौथे अटेम्प्ट में आईवीएफ से बच्चा कंसीव होता है। इसलिए आईवीएफ की प्रक्रिया में गारंटी नहीं होती कि आप 100% कंसीव करेंगे।
आईवीएफ गर्भावस्था के बाद बरती जाने वाली सावधानी
आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है वरना मिसकैरेज के चांसेस बढ़ जाते हैं। आईवीएफ प्रक्रिया कंप्लीट होने के बाद पति पत्नी को सेक्सुअल इंटरकोर्स से बचना चाहिए क्योंकि इससे महिलाओं में वजाइनल इनफेक्शन बढ़ने का खतरा पैदा होता है। मां बनने वाली महिला को स्ट्रेस फ्री माहौल में रहना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद करीब दो हफ्ते तक नहाने से बचना चाहिए साथ ही भारी समान हरगिज़ नहीं उठाना चाहिए। गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए महिला को कृत्रिम प्रोजेस्टरॉन दिया जाता है ताकि महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा बैलेंस रहे।
आईवीएफ के लिए उम्र
वैसे तो आईवीएफ मैच्योरिटी के बाद किसी भी उम्र में कराया जा सकता है लेकिन मेडिकल साइंस के हिसाब से 30 से 35 साल की उम्र आईवीएफ के लिए बेस्ट होती है क्योंकि इसमें अंडों की क्वालिटी बेहतर होती है। पुरुषों की बात करें तो पुरुषों के लिए 40 से 45 साल तक की उम्र आईवीएफ के लिए ठीक रहती है क्योंकि इसमें शुक्राणुओं की क्वालिटी अच्छी बनी रहती है।
आईवीएफ में कितना खर्च आता है
आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है इसीलिए इसे हर कोई अफोर्ड नहीं कर पाता। सामान्य रूप से हमारे देश में आईवीएफ का खर्च डेढ़ लाख से ₹2 लाख के बीच में होता है। अगर एक बार में आईवीएफ सक्सेसफुल नहीं होता है तो यह खर्च ढाई से 5 लख रुपए तक भी चला जाता है। इसमें दवाई इंजेक्शन वगैरह भी शामिल होते हैं। अच्छी बात यह है कि अब इंश्योरेंस कंपनी भी आईवीएफ के लिए सुविधाएं देने लगी हैं।
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Last Updated Jun 29, 2024, 5:02 PM IST