Vastu Tips: जब भी आप अपने घर, आफिस या किसी भी तरह की बिल्डिंग का निर्माण करने की योजना बनाते हैं , तो उसमें सबसे पहला कदम होता है भूमि पूजन का। भूमि पूजन क्या है, क्यो करना चाहिए, इसके क्या लाभ है। आइए जानते हैं। भूमि पूजन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है,  जो गृह निर्माण कार्य शुरू करने से पहले किया जाता है। यह समारोह भगवान और धरती माता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जिससे निर्माण प्रक्रिया सफल और बिना किसी समस्या के पूरी हो सके। इस लेख में हम वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि पूजन करने के सही तरीके पर चर्चा करेंगे।

भूमि पूजन के लिए दिशा कौन सी है?
भूमि पूजन आदर्श रूप से भूमि के पूर्व या उत्तर दिशा में किया जाना चाहिए। ये दिशाएं शुभ मानी जाती हैं और गृह निर्माण में पॉजिटिव एनर्जी और आशीर्वाद लाती हैं।

नींव कैसी होनी चाहिए?
स्ट्रक्चर की स्टेबिलिटी और मजबूती सुनिश्चित करने के लिए नींव पर्याप्त गहरी होनी चाहिए। गहराई मिट्टी के प्रकार और निर्माण के भार पर निर्भर करती है, इसलिए किसी स्ट्रक्चरल इंजीनियर से परामर्श करना उचित है। नींव के लिए हाई क्वालिटी वाली सामग्री का उपयोग करें, जैसे कंक्रीट और स्टील रीइंफोर्समेंट। ट्रेडिशनल सामग्री जैसे ईंटें या पत्थर का भी यूज किया जा सकता है।

भूमि पूजन अनुष्ठान
भूमि पूजन के लिए एक शुभ दिन और समय का चयन करें। सुनिश्चित करें कि भूमि साफ और किसी भी प्रकार के कूड़े से मुक्त हो। पूजा के लिए स्थल भूमि के उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए। निर्माण वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए, जैसे घर का प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए, जबकि मुख्य रहने का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए। भगवान गणेश की पूजा करके पूजा शुरू करें। उत्तर-पूर्व कोने में भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना और मिठाई चढ़ाएं।

कलश पूजा
एक कलश को आम के पत्तों और नारियल के साथ स्थापित करें। यह कल्याण का प्रतीक है और अनुष्ठान का एक अनिवार्य हिस्सा है। फूल, चावल और पवित्र जल (गंगा जल) चढ़ाकर कलश पूजा करें।

भूमि की खुदाई कब करें?
भूमि पूजन पूरा होने के बाद ही नींव के लिए खुदाई शुरू करें। खुदाई को सम्मानपूर्वक और सावधानी से किया जाना चाहिए।

पूजन के दौरान क्या-क्या चढ़ाएं?
पूजा के दौरान चावल, फूल, फल और मिठाई जैसी ट्रेडिशनल वस्तुएं चढ़ाएं। ये अर्पण पृथ्वी और भगवान का सम्मान करने के लिए किए जाते हैं, ताकि निर्माण के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके और कोई बाधा न आए। 


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