नई दिल्ली। दिवाली के बाद होने वाला प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। दिल्ली जैसे शहरों में एयर पॉल्यूशन का स्तर इतना अधिक हो जाता है कि सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। खासकर, दिवाली के पटाखों के कारण वायु प्रदूषण में खतरनाक बढ़ोतरी होती है, जो अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकती है। अस्थमा के मरीजों के फेफड़े पहले से ही सेंसिटिव होते हैं, और इस स्थिति में पॉल्यूशन के छोटे कण उनमें जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे अस्थमा की प्रॉब्लम बढ़ सकती है। हम आज आपको 7 ऐसे सुपरफूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं।

1. फलों और सब्जियों काे अधिक खाएं

पॉल्यूशन से बचने के लिए अपनी डाइट में फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ताजे फल और सब्जियां बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी, और विटामिन ई से भरपूर होते हैं, जो हमारे शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और फेफड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे अस्थमा का खतरा कम होता है। विटामिन सी और ई युक्त फल जैसे कि संतरा, अनार, पपीता, और कीवी का सेवन करना चाहिए। ब्रोकोली और पालक में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक होती है, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में कारगर साबित होते हैं। 

2. अदरक अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद

अदरक में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। अदरक न केवल प्रदूषण के कणों के कारण होने वाली फेफड़ों की जलन को कम करता है, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है, जिससे बॉडी प्रदूषण के खतरों से निपटने में सक्षम बनती है। आप सुबह के समय अदरक की चाय पी सकते हैं, जिससे फेफड़ों में जमा होने वाले कण बाहर निकल सकें। अदरक के छोटे टुकड़े करके उसमें शहद मिलाकर खाएं। यह प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचने में मदद करता है।

3. लहसुन की कलियां आती हैं बहुत काम

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं। लहसुन बॉडी के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और पॉल्यूशन से होने वाली एलर्जी और इंफेक्शन को दूर रखता है। एक कली कच्चा लहसुन खाने से इसका पूरा पोषण शरीर में मिलता है। लहसुन को पीसकर अपने खाने में भी शामिल करें। लहसुन में मौजूद एलिसिन यौगिक शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है, जिससे फेफड़ों की सुरक्षा होती है।

4. फेफड़ों की सुरक्षा करता है हल्दी

हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर में सूजन को कम करता है और फेफड़ों की सुरक्षा करता है। हल्दी न केवल प्रदूषण से होने वाले प्रभावों को कम करती है, बल्कि फेफड़ों की जलन को भी दूर रखती है, जिससे अस्थमा के मरीज सेफ रहते हैं। हल्दी को दूध में मिलाकर लेने से फेफड़ों की सूजन और जलन में राहत मिलती है। दूध में हल्दी मिलाकर पीने से पॉल्यूशन का प्रभाव कम होता है। आप अपनी डाइट में हल्दी की चाय भी शामिल कर सकते हैं। 

5. ग्रीन टी से अस्थमा अटैक की संभावना कम

ग्रीन टी अस्थमा के मरीजों के लिए एक बढ़िया विकल्प है, क्योंकि इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण फेफड़ों की सूजन को कम करते हैं और फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं। ग्रीन टी पीने से फेफड़ों में पॉल्यूशन के कणों का प्रभाव कम होता है, जिससे अस्थमा का अटैक कम होने की संभावना रहती है। दिन में दो बार ग्रीन टी का सेवन फेफड़ों की सुरक्षा में मदद करता है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं, जो अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत लाभकारी हैं।

6. अलसी के बीज (Flax Seeds)

अलसी के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतरीन सोर्स है, जो फेफड़ों की सूजन को कम करता है। अलसी के बीज फेफड़ों की सुरक्षा करते हैं। रोजाना एक चम्मच अलसी के बीज खाने से प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव कम होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में सूजन को कम करता है।

7. तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करते हैं। तुलसी के पत्ते अस्थमा के मरीजों के लिए एक प्राकृतिक उपचार का काम करते हैं और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। रोजाना तुलसी की चाय पीने से फेफड़ों में मौजूद कण बाहर निकल सकते हैं। तुलसी का रस पीने से अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

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