मां बनना हर औरत के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है। वर्किंग वूमंस के लिए प्रेगनेंसी का टाइम थोड़ा क्रिटिकल होता है क्योंकि उन्हें ऑफिस का काम भी मैनेज करना होता है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रेगनेंसी के दौरान औरतों को दफ्तर जाना चाहिए? अगर गर्भवती महिला दफ्तर जाती है तो इस दौरान उसे क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए?
हेल्थ डेस्क। एक समय था जब प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं घर में रहती थी लेकिन आज महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान ऑफिस भी संभालती हैं, बाजार भी जाती हैं,घर का भी काम देखती हैं। हमारे सामने बेस्ट एग्जांपल है ऋचा चड्ढा का जो सातवें महीने में हीरामंडी का प्रचार कर रही थीं।वहीं नवें महीने में ऋचा ने नई फिल्म भी साइन कर लिया और प्रेगनेंसी के बाद वह लंबा गैप नहीं लेंगी बल्कि अगस्त में शूटिंग में बिजी हो जाएंगी।अगर आप भी प्रेग्नेंट है या आपके घर की कोई महिला प्रेग्नेंट है तो काम को ब्रेक देने से बेहतर है ऑफिस जाने या काम पर जाने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना ।
पहले ट्रिमेस्टर (First Trimester)
प्रेगनेंसी का शुरुआती 3 महीना बहुत पेनफुल होता है। कुछ महिलाओं को बेतहाशा उल्टी आती है, तबीयत मालिश होती है और थकान महसूस होती है। मूड स्विंग की समस्या बनी रहती है एक लम्हे कुछ खाने का मन होता है और दूसरे लम्हे उसी फूड को देखकर मतली आने लगती है। शुरुआती 3 महीने में डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए और पानी खूब पीना चाहिए ताकि शरीर हाइड्रेट रहे। ऑफिस जाने के दौरान अपने साथ वाटर बोतल जरूर रखना चाहिए। जितना हो सके फलों का सेवन करना चाहिए। ऑफिस जाने के दौरान बैग में कुछ ड्राई फ्रूट्स रख लेना चाहिए।
दूसरा ट्रिमेस्टर (Second Trimester)
शुरुआती 3 महीने गुजरने के बाद महिला के शरीर में बदलाव होना शुरू हो जाता है वेट बढ़ता है इसलिए लूज कपड़े पहनना शुरू कर देना चाहिए। टाइट जींस पैंट या कोई भी टाइट आउटफिट पहनने से बचना चाहिए। ऑफिस में भी एक जगह पर देर तक नहीं बैठना चाहिए। हर 30 मिनट पर उठकर कुछ देर के लिए वॉक करना चाहिए और फिर आकर अपना काम करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आपकी ऑफिस चेयर कंफर्टेबल हो और पैर जमीन पर नहीं बल्कि थोड़ी ऊंचाई पर हो चाहिए ताकि पैरों में सूजन ना होने पाए।
थर्ड ट्रिमेस्टर (Third Trimester)
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिलाओं की भूख बढ़ने लगती है क्योंकि वो कुछ भी खाती हैं उनके पेट में पल रहे भ्रूण तक पहुंचता है। इस दौरान कैल्शियम लॉस की वजह से कुछ महिलाओं को हड्डियों में चमक भी पैदा होती है। पेशाब की थैली दबने के कारण यूरिन की समस्या भी बन जाती है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए की सातवें महीने के बाद महिलाएं हल्की-फुल्की वॉक करें लेकिन ऑफिस से छुट्टी ले लें तो बेहतर होगा। सातवें महीने के बाद गर्भवती महिला को सिर्फ हेल्दी खाने पर ध्यान देना चाहिए और तनाव मुक्त रहना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान परिवार के लोगों को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए की गर्भवती महिला जितना हो सके टेंशन फ्री रहे और खुश रहे क्योंकि गर्भवती महिला के व्यवहार का असर उसके भ्रूण पर पड़ता है। वो जितना ज्यादा टेंशन फ्री रहेगी उसका बच्चा उतना ही तंदुरुस्त होगा और साथ-साथ डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए क्योंकि मां का सही पोषण बच्चे तक पहुंचता है।
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Last Updated Jul 4, 2024, 7:23 PM IST