Thiruvarppu Sree Krishna Temple Visit on Janmashtami 2024: कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर केरल के तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर का दौरा करें, जहां भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भूख के कारण दुबली होती जाती है। इस रहस्यमयी मंदिर में भगवान को दिन में 10 बार भोग लगाया जाता है ताकि वे भूखे न रहें। जानें इस अद्भुत मंदिर की अनोखी मान्यता।
ट्रैवल डेस्क। रक्षाबंधन के बाद कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2024) का इंतजार भक्तों को बेसब्री है। भाद्रपद की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। नंदगोपाल के जन्म खुशियां मुथरा (Mathura Janmashtami 2024) से लेकर केरल तक मनाई जाती है। हर साल मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। शहर में पैर तक रखने की जगह नहीं होती ऐसे में अगर आप भी कृष्ण मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो मथुरा नहीं बल्कि केरल जाये। यहां पर भगवान श्री कृष्ण का ( Mysterious Krishna Temple) रहस्यमयी मंदिर स्थित है। जहां भूख के कारण नंदगोपाल की मूर्ति दुबली होती जाती है। तो चलिए जानते हैं तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर के बारे रहस्य के बारे में।
तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर रहस्य (Thiruvaarppu Krishna Temple mystery)
तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर घूमने दूर-दूर से सैलानी आते हैं। ये मंदिर लगभग 1600 साल पुराना है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि महाभारत में वनवास के दौरान पांडव यहीं पर श्री कृष्ण को भोग लगाते थे। वनवास खत्म होने पर वह ग्रामीणों और मुछवारों के कहने पर यहीं भगवान की मूर्ति छोड़कर चले गए थे। जिसके बाद लड्डू गोपाल गांव के आराध्य बन गए और लोग उनकी पूजा करने लगे। धीरे-धीरे मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती चली गई।
भगवान श्री कृष्ण को नहीं बर्दाश्त भूख (Lord Krishna hunger mystery)
ये मंदिर अपने रहस्य के लिए भी प्रसिद्ध है। ये मंदिर केवल 2-3 मिनट के लिए बंद किया जाता है। इतना ही मंदिर के कपाट कुछ मिनटों के बंद होते है। बताया जाता है,अगर मंदिर का ताला खुलने में ज्यादा वक्त लगा तो उसे तोड़ दिया जाता है ताकि लड्डू गोपाल भूखे नहीं रहे और उनके भोग में देरी न हो। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को बूख बहुत लगती है। अगर उन्हें भोग लगाने में जरा भी देर होती है तो उन्हें और ज्यादा भूख लगने लगती है। इतना ही नहीं दावा किया जाता है कि प्रसाद न मिलने पर मूर्ति दुबली हो जाती है। इसलिए लड्डू गोपाल को दिन में लगभग 10 बार भोग लगाया जाता है। साथ ही जब भगवान का अभिषेक किया जाता है तो विग्रह पतला होता चला जाता है। सबसे पहले उनका सिर तो आखिर में शरीर सूख जाता है क्योंकि अभिषेक करने में समय लगता है और उन्हें भोग लगाने में देरी होती है। इस घटना का साक्षात दर्शन करने दूर-दूर से भक्त आते हैं। आप भी इस जन्माष्टमी इस मंदिर को घूम सकते हैं।
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Last Updated Aug 21, 2024, 5:19 PM IST