हेल्थ डेस्क: दुनियाभर में इस समय टाइप 1 डाबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 8.7 मिलियन के आसपास है। जानलेवा बीमारी टाइप 1 डाबिटीज अक्सर बच्चों में डायग्नोज होती है। इस बीमारी के कारण शरीर में कई बुरे प्रभाव देखने को मिलते हं। चूंकि अग्नाशय इंसुलिन बनाना बंद कर देता है इस कारण से जीवनभर इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ती है। अब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ने मिलकर टाइप 1 डाबिटीज और मेंटल हेल्थ को लेकर स्टडी की है। 

डायबिटीज को लेकर की गई डीएनए स्टडी

स्टडी के दौरान 4,500 बच्चों को शामिल किया गया और डीएनए स्टडी की गई। रिचर्सर्च ने ये बात कही कि  टाइप 1 डाबिटीज से पीड़ित बच्चों में सामान्य बच्चों के मुकाबले मूड डिसऑर्डर डेवलेप होने की 50% संभावना अधिक थी। वहीं नींद, खाने और बिहेवियर सिंड्रोम की संभावना चार गुना ज्यादा थी। इस स्टडी के लिए मेंडेलियन रैंडमाइजेशन टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया। 

मानसिक स्थिति को प्रभावित करती हैं ये चीजें

टाइप 1 डायबिटीज कम उम्र में ही डायग्नोज हो जाता है। डायबिटीज के ट्रीटमेंट के लिए इंजेक्शन की मदद से इंसुलिन दी जाती है। साथ ही बच्चों को समय पर अन्य गतिविधियों को करने की भी सलाह दी जाती है।इन सब बातों के कारण बच्चे बहुत ज्यादा प्रेशर महसूस करते हैं। यही कुछ कारण है जिससे बच्चों में मानसिक तनाव घर कर जाता है। बच्चे खुद को सोसाइटी से अलग महसूस करने लगते हैं। 

डायबिटीज और बच्चों में अकेलापन

टाइप 1 डायबिटीज के कारण बच्चों में अकेलापन, निराश, भावनाओं में नियंत्रण की कमी आदि मानसिक समस्याओं के लक्षण दिखते हैं। अगर उन्हें समय रहते पहचान लिया जाए तो काफी हद तक इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है। अगर आपको भी बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के साथ यह लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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