हेल्थ डेस्क: पुणे में तेजी से जीका वायरस फैलने की खबरें सामने आ रही है। खबर मिली है कि दो महिलाएं भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को जीका वायरस का संक्रमण हो जाता है उनके बच्चे को बर्थ डिफेक्ट का खतरा रहता है। जानिए  जीका वायरस के कारण आखिर कौन-सा बर्थ डिफेक्ट हो सकता है।

जीका वायरस के संक्रमण से हो सकता है माइक्रोसेफली

 जब गर्भवती महिला को जीका वायरस का संक्रमण हो जाता है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को माइक्रोसेफली बर्थ डिफेक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।  माइक्रोसेफली एक रेयर न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है जिसके कारण बच्चे का सिर छोटा रह जाता है। इस कारण से बच्चे के दिमाग का सही से विकास नहीं हो पाता है। जेनेटिक या फिर पर्यावरण के फैक्टर्स के कारण बच्चों में माइक्रोसेफली की बीमारी होती है। 

जब जीका वायरस गर्भवती मां के अंदर पहुंचता है तो वो बच्चे के मस्तिष्क के टिशू यानी ऊतकों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। वहीं  माइक्रोसेफली रोग के कारण कुछ लोगों में दौरे भी पड़ते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में 1000 बच्चों में 12 बच्चे माइक्रोसेफली से पीड़ित रहते हैं। WHO ने बताया है कि जिन लोगों को जीका वायरस का इंफेक्शन होता है उन लोगों में लक्षण बहुत हल्के या न के बराबर दिखते हैं। 

जीका इंफेक्शन में दिखते हैं ये लक्षण

जीका वायरस का इंफेक्शन होने पर व्यक्ति में कुछ हल्के लक्षण दिख सकते हैं। हाथ-पैरों में दर्द होना, बुखार आना, सिर दर्द होना, लाल चकत्ते, बदनदर्द होना, थकान का एहसास आंखों में दर्द आदि दिखता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

पुणे नगर निगम की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है कि जिन लोगों को भी जीका संक्रमण के लक्षण दिखते हैं वह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही गर्भवती महिलाएं ऐसी जगह बिल्कुल न जाए जहां पर जीका वायरस इंफेक्शन फैला हो।

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