नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं में होने वाले खतने से स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है। इससे महिलाओं में संक्रमण, रक्तस्राव या सदमे की बीमारी हो सकती है और यही नहीं इससे कुछ असाध्य बीमारी भी हो सकती है। जिसका असल जीवनभर के लिए हो सकता है। अभी भी दुनिया के कई मुस्लिम देशों में महिलाओं में खतना की प्रथा है। पिछले दिनों ही मिस्र में खतने की वजह से एक बच्ची की मौत हो गई थी। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महिलाओं को लेकर एक खास रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम देशों में महिलाओं को होने वाले खतने के कारण महिलाओं में कई तरह की गंभीर बीमारी हो सकती है। इससे महिलाओं को सदमा हो सकता है और महिलाओं को कई इस तरह की बीमारी हो सकती हैं। जिसके कारण वह जीवनभर बीमार हो सकती हैं। खतना के कारण महिलाओं और बच्चियों की सेहत पर गंभीर बीमारियों का खतरा है। यही नहीं दुनिया में हर साल इस प्रथा के कारण 1.4 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो रहा है।

हर साल 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और बच्चियों को सांस्कृतिक और नॉन-मेडिकल कारणों से खतने का सामना करना पड़ता है। ये प्रथा मुस्लिम देशों में व्याप्त है और पिछले दिनों ही मिस्र में एक बच्ची की मौत खतने के कारण हुई थी। मुस्लिम देशों में आमतौर पर जन्म से 15 वर्ष के बीच खतना किया जाता है। हालांकि कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन कई देशों में प्रतिबंध के बावजूद ये प्रथा जारी है। महिलाओं में संक्रमण, रक्तस्राव या सदमा जैसे बीमारियां होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिस्र में पिछले महीने 12 साल की एक लड़की की मौत हुई है। जिससे ये बात सामने आई है कि ये परंपरा अभी भी कई देशों में चल रही है।