जयपुर। राजस्थान में सियासत उबाल है। हाईकोर्ट से राहत न मिलने और राज्यपाल द्वारा फिलहाल विधानसभा सत्र न बुलाने के फैसले के बाद राज्य की अशोक गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं और अब राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने राजभवन के सामने विधायकों के साथ धरना देने का फैसला किया है।

फिलहाल सीएम अशोक गहलोत विधायकों के साथ राजभवन के लिए निकल गए हैं और माना जा रहा है कि वह राज्यपाल पर दबाव बनाने के लिए विधायकों के साथ राजभवन में धरना दे सकते हैं। असल में हाईकोर्ट से फौरी तौर पर राहत न मिलने के बाद सीएम गहलोत ने राज्य में विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की थी। लेकिन राज्यपाल न उनकी मांग को ठुकरा दिया है। जिसके बाद वह वह विधायकों के साथ राजभवन जाएंगे। दरअसल सचिन पायलट गुट को राजस्थान की हाईकोर्ट से राहत मिली है और कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के द्वारा दिए गए नोटिस पर स्टे लगा दिया है।

जिसके बाद राज्य के विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी विधायकों को अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी है। सीएम गहलोत ने कहा कि यदि राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो राज्य की जनता राजभवन का घेराव कर सकती है और इस स्थिति के लिए राज्य सरकार जिम्मेदारी नहीं होगी।

जानें क्या है विधानसभा की स्थिति

राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में अभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के पास 87 विधायक हैं जबकि राज्य में कांग्रेस के 106 विधायक हैं। जिसमें से 19 विधायक बागी है। जबकि 10 निर्दलीय विधायक और दो बीपीटी के विधायक राज्य सरकार को समर्थन दे रहे हैं। जबकि पायलट गुट के साथ 22 विधायकहैं। इसमें से 19 विधायक कांग्रेस के बागी है जबकि तीन निर्दलीय विधायक भी पायलट के साथ है। वहीं भाजपा के राज्य में 72 विधायक हैं और तीन विधायक आरएलपी के भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। जबकि सीपीएम का एक विधायक अलग है। जो किसी भी गुट को समर्थन नहीं दे रहा है। हालांकि मौजूदा नंबरों के हिसाब से अशोक गहलोत दौड़ में आगे हैं। लिहाजा वह विधानसभा में बहुमत साबित करने की बात कर रहे हैं। क्योंकि इससे कांग्रेस विधायकों के लिए व्हिप जारी करेगी। जिसमें विधानसभा की सदस्यता को बचाने के लिए बागी विधायको को आना ही होगा।