नई दिल्ली। कर्नाटक में राज्य की भाजपा सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद राज्य की विपक्षी दल कांग्रेस की नजर भाजपा के असंतुष्टों पर नजर लगाए हुए है। वहीं अभी तक कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस की कमान किसी को नहीं सौंपी है। क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि राज्य में अगर भाजपा में बगावत होती है तो राज्य की कमान किसी मजबूत नेता के हाथ में होनी चाहिए। वहीं अभी तक इस पद के लिए दो नेता डीके शिवकुमार और एमबी पाटिल आमने सामने हैं।

कांग्रेस कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के असंतुष्ट विधायकों पर नजर रखे हुए है। ये विधायक राज्य कैबिनेट में जगह मिलने से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से नाराज चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस को नए घटनाक्रमों का इंतजार है और वह भाजपा में उभर रहे असंतोष और बढ़ते बदलाव पर नजर बनाए हुए है। इसी हफ्ते भाजपा के वरिष्ठ विधायक उमेश कट्टी और गुलहट्टी शकर के साथ पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी की बैठक हुई है। जिसको देखते हुए लग रहा है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

वहीं राज्य में मुख्यमंत्री के खिलाफ एक गुमनाम पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें लिखा गया है येदियुरप्पा अपनी उम्र और स्वास्थ्य के कारण नेतृत्व करने में असमर्थ हैं और सरकार के कामकाज में मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों का हस्तक्षेप भी है। जिसको लेकर भाजपा में नाराजगी है। हालांकि कांग्रेस के पास भी राज्य में मजबूत नेतृत्व नहीं है। राज्य कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडू राव के पिछले साल के लोकसभा चुनावों में पराजय और बाद में उपचुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था।

फिलहाल इस शीर्ष पद की दौड़ दो नामों की चर्चा है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पूर्व मंत्री और प्रमुख संकटमोचन डीके शिवकुमार को कर्नाटक में पार्टी की बागडोर सौंपने का इच्छुक है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस पद के लिए लिंगायत नेता एमबी पाटिल के पक्षधर हैं। डीके शिवकुमार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल का आर्शीवाद मिला हुआ है। क्योंकि शिवकुमार ने गुजरात के राज्यसभा चुनाव में पटेल को जिताने में मदद की थी। वहीं राज्य के पूर्व गृह मंत्री और उत्तर कर्नाटक के लिंगायत नेता पाटिल को सिद्धारमैया का समर्थन प्राप्त है।