प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पांचवीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराया। उन्होंने कहा कि हम कहां से चलते थे, उस पर नजर डालेंगे तो कहां गए हैं, कितना पहुंचे हैं, इसका अंदाज नहीं आएगा। इसलिए 2013 में हमारा देश जिस रफ्तार से चल रहा था, हम उसे आधार मानें और पिछले चार साल में बहुत काम हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार देश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है।
 
हम मक्खन पर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वालों में हैं
 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम मक्खन पर लकीर करने वालों में नहीं हैं, हम पत्थर की लकीर खींचने वालों में से है। मक्खन पर लकीर तो कोई भी खींच सकता है। हम बीज से लेकर बाजरा तक वैल्यू एडिशन करना चाहते हैं। हम एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट पॉलिसी पर आगे बढ़ रहे हैं। आज शहद का एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है। गन्ना किसानों को खुशी होगी कि एथेनॉल का उत्पादन दोगुना हो गया है।’
 
निशान चूक माफ, माफ नहीं नीचा निशान
 
पीएम ने गुजराती की एक कहावत का जिक्र करते हुए कहा, ‘निशान चूक माफ, लेकिन नहीं माफ नीचा निशान। लक्ष्य, सपने बड़े होने चाहिए। लक्ष्य बड़े नहीं होंगे तो फैसले भी नहीं होते और यात्रा अटक जाती है। हमारे लिए जरूरी है कि हम बड़े लक्ष्य लेकर संकल्प के साथ आगे बढ़ने की दिश में प्रयास करें। जब लक्ष्य ढुलमुल होते हैं, हौसले बुलंद नहीं होते तो फैसले अटके पड़े रहते हैं।आज गांव-गांव तक डिजिटल इंडिया को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। कहीं पर भी आपदा हो, हमारे देश की सेना वहां पहुंच जाती हैं। वही सेना जब संकल्प लेकर चल पड़ती है तो सर्जिकल स्ट्राइक कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर भी आ जाती है।’
 
सोया हाथी जाग चुका है
 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज भारत मल्टी ट्रिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट का डेस्टिनेशन बन गया है। दुनिया भारत के साथ जुड़ने की चर्चा करते समय बिजली जाने के दिनों को याद करती थी। वही लोग कह रहे हैं कि सोया हुआ हाथी अब जग चुका है, चल पड़ा है। सोए हुए हाथी ने अपनी दौड़ शुरू कर दी है। आने वाले तीन दशक तक विश्व की आर्थिक ताकत को भारत गति देगा। भारत विश्व के विकास का नया स्रोत बनने वाला है। जिन संगठनों में हिंदुस्तान को जगह मिली, उसकी बात को सुना जा रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज बुलंद की है। कई वर्षों से हमें जिन संस्थाओं में हमें सदस्यता का इंतजार था, वहां हमें स्थान मिला है।’
 

आजादी मिली सत्‍याग्रहियों से, स्‍वच्‍छता मिलेगी स्‍वच्‍छाग्रहियों से

पीएम ने कहा, अगला वर्ष महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती का वर्ष है। पूज्‍य बापू ने अपने जीवन में आज़ादी से भी ज़्यादा महत्‍व स्‍वच्‍छता को दिया था। वो कहते थे कि आजादी मिली सत्‍याग्रहियों से, स्‍वच्‍छता मिलेगी स्‍वच्‍छाग्रहियों से। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे और गांधी जी की प्रेरणा ने स्‍वच्‍छाग्रही तैयार किए हैं। और आने वाले, 150वीं जयंती जब मनाएंगे, तब ये देश पूज्‍य बापू को स्‍वच्‍छ भारत के रूप में, ये हमारे कोटि-कोटि स्‍वच्‍छाग्रही, पूज्‍य बापू को कार्यान्जलि समर्पित करेंगे। और एक प्रकार से जिन सपनों को ले करके हम चले हैं, उन सपनों को पूरा करेंगे। ये सही है, कि स्‍वच्‍छता ने 3 लाख लोगों की ज़िंदगी बचाई है। लेकिन कितना ही मध्‍यम वर्ग का सुखी परिवार क्‍यों न हो, अच्‍छी-खासी आय रखने वाला, व्‍यक्ति क्‍यों न हो, गरीब क्‍यों न हो, एक बार घर में बीमारी आ जाए तो व्‍यक्ति नहीं पूरा परिवार बीमार हो जाता है। कभी पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारी के चक्‍कर में फंस जाती है।

मैं बेसब्र हूं...मैं व्याकुल हूं

पीएम ने भावनात्मक होते हुए कहा, लोग मेरे लिए भी कई बातें करते है लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो, मैं आज सार्वजनिक रूप से कुछ चीजों को स्वीकार करना चाहता हूं कि मैं बेसब्र हूं, क्योंकि कई देश हमसे आगे निकल चुके है, मैं बेसब्र हूं मेरे देश को इन सारे देशों से भी आगे ले जाने के लिए बेचैन हूं। मैं बेचैन हूं, मेरे प्‍यारे देशवासियों, मैं बेसब्र भी हूं, मैं बेचैन भी हूं। मैं बेचैन हूं, क्‍योंकि हमारे देश के बच्‍चों के विकास में, कुपोषण एक बहुत बड़ी रुकावट बना हुआ है। एक बहुत बड़ा बॉटलनेक बना हुआ है। मुझे मेरे देश को कुपोषण से मुक्‍त कराना है इसलिए मैं बेचैन हूं। मेरे देशवासियों, मैं व्‍याकुल हूं ताकि गरीब तक, समुचित हेल्थ कवर प्राप्त हो, इसके लिए मैं बेचैन हूं ताकि मेरे देश का सामान्‍य व्‍यक्ति भी बीमारी से लड़ सके, भिड़ सके। भाइयों-बहनों, मैं व्‍याकुल भी हूं, मैं व्‍यग्र भी हूं। मैं व्‍यग्र हूं ताकि अपने नागरिक को क्वॉलिटी ऑफ लाइफ, ईज ऑफ लिविंग का अवसर प्रदान हो, उसमें भी सुधार आए। पीएम ने कहा, मैं व्‍याकुल भी हूं, मैं व्‍यग्र हूं, मैं अधीर भी हूं। क्योंकि चौथी औद्योगिक क्रांति है, जो ज्ञान के अधिष्ठान पर चलने वाली चौथी औद्योगिक क्रांति है उस चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्‍व आईटी जिसके उंगलियों पर है, मेरा देश उसकी अगुवाई करे उसके लिए मैं अधीर हूं। मेरे प्‍यारे देशवासियों, मैं आतुर हूं क्‍योंकि चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए और विश्‍व में गर्व के साथ हम आगे बढ़े। मेरे प्‍यारे देशवासियों, जो हम आज हैं, कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते है। हमें ठहराव मंज़ूर नहीं है, हमें रुकना मंज़ूर नहीं है, और झुकना तो हमारे स्‍वभाव में नहीं है। ये देश न रुकेगा, न झुकेगा, ये देश न थकेगा, हमें नई ऊंचाइयों पर आगे चलना है, उत्तरोत्तर प्रगति करते चलना है।