नई दिल्ली।  श्रीलंका के संसदीय समिति ने देश में बुर्का के पहनने पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्काल कदम का प्रस्ताव सरकार को दिया है। इसके साथ ही समिति ने धर्म के नाम  पर बनने वाले राजनैतिक दलों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

श्रीलंका के मीडिया में प्रकाशित  खबरों के मुताबिक समिति ने धार्मिक और जातीय आधार पर राजनीतिक दलों के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाने का भी सुझाव दिया है। इस संबंध में एक विशेष रिपोर्ट संसद में पेश की गई। यह रिपोर्ट पिछले साल के बम विस्फोटों के मद्देनजर संसद में रखी गई है। पिछले साल श्रीलंका में हुए बम विस्फोटों में सैकड़ों लोग मारे गए थे। जिसके बाद देश में मुस्लिम कट्टरपंथियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने पहले ही बुर्का पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। समिति ने सुझाव दिया है कि पुलिस को किसी व्यक्ति की सार्वजनिक स्थान पर पहचान करने की शक्ति होनी चाहिए और इसमें किसी भी तरह का धार्मिक भेदभाव नहीं होना चाहि। समिति का कहना है कि अगर पुलिस किसी व्यक्ति का चेहरा देखना चाहती है तो वह बिना वारंट के व्यक्ति का चेहरा देख सके और दोषी होने पर उसे गिरफ्तार कर सके। इसके लिए पुलिस को अधिकार देने की जरूरत है। वहीं समिति ने कहा कि देश में जो मदरसे चल रहे हैं उन्हें अगले तीन सालों में सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली के तहत लाया जाए।

गौरतलब है कि पिछले साल 21 अप्रैल को ईस्टर संडे के मौके पर इस्लामिक आत्मघाती हमलावरों द्वारा कोलंबो के तीन चर्चों और होटलों को बम से उड़ा दिया गया था। इन बम विस्फोटों में 45 विदेशी नागरिकों समेत कम से कम 258 लोग मारे गए थे , जिनमें 11 भारतीय भी थे।  श्रीलंकाई अधिकारियों के अनुसार, सात आत्मघाती हमलावर, नेशनल थोहेथ जमात से जुड़े थे, जो एक स्थानीय आतंकवादी समूह से जुड़े हुए थे। इन आतंकियों का विदेशी संगठनों से संबंध थे जिन पर पहले से ही बौद्धों और सूफियों के खिलाफ हमलों के आरोप थे।