रामपुर। पिछले तीन दशक में आजम खान और रामपुर एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। जब भी राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी आजम रामपुर से स्वघोषित मुख्यमंत्री बने। रामपुर में आजम की इजाजत के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। लिहाजा आजम खान की सीट छोड़ने के बाद इस सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है। रामपुर से सपा ने आजम खान की सांसद पत्नी को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने बसपा से आए भारतभूषण गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है।

आजम खान के लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद रामपुर से उपचुनाव हो रहा है। सपा ने आजम की सांसद पत्नी  तंज़ीन फातिमा को टिकट दिया है। इसके भी कई कारण हैं। क्योंकि फातिमा का राज्यसभा का कार्यकाल अगले साल नवंबर तक है। उसके बावजूद वह रामपुर की इस सीट से अपनी किस्मत विधानसभा के लिए आजमा रही हैं। असल में आजम को डर था कि अगर ये सीट किसी बाहरी व्यक्ति को दी गई तो उनके समर्थक नाराज हो सकते हैं। जिसके कारण इस सीट को जीतना मुश्किल हो जाएगा।

लिहाजा घर की सीट घर में रहने के फार्मूले के तहत तंजीन फातिमा को चुनाव में उतारा गया है। इस सीट पर तीन दशक से आजम खान का कब्जा है। तीन दशक के दौरान केवल 1996 में आजम खान यहां से चुनाव हारे थे। जबकि वह इस सीट से नौ बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन अब भाजपा आजम खान का किला ढहाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इस सीट पर भारत भूषण गुप्ता तंजीन फातिम को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। फिलहाल ये लड़ाई भारत भूषण और ताज़ीन फातिमा के बीच न होकर आजम खान और भाजपा की हो गई है।

हालांकि सत्ता में रहते हुए आजम खान ने रामपुर में दुश्मनों और विरोधियों की भी एक लंबी फौज खड़ी की है। जो अब सीधे तौर पर आजम का विरोध कर रहे हैं। इस सीट में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। लेकिन इस सीट में बसपा और कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। जिसके कारण तंजीन फातिमा का मुकाबला मुश्किल हो रहा है। लेकिन आजम अपने पुराने अंदाज में कभी इमोशनल होकर तो कभी आक्रामक अंदाज में जनता से वोट मांग रहे हैं।

गौरतलब है कि रामपुर में 60 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि बाकी 40 फीसदी हिंदू वोट हैं। रामपुर की इस सीट से कांग्रेस अरशद अली खान उर्फ़ गुड्डू को टिकट दिया है जबकि बसपा ने ज़ुबैर मसूद खान को टिकट दिया है। बसपा के पहली बार उपचुनाव में उतरने के कारण तंजीन फातिमा की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।