नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ गई हैं। तीन बार की दिल्ली में मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के बेटे ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार की लिस्ट में नाम शामिल न करने पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि वह बड़े नेता नहीं हैं। लेकिन वह कांग्रेस के लिए काम करते रहेंगे। चुनाव से ऐन वक्त पहले संदीप दीक्षित का कांग्रेस पार्टी से सवाल पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। क्योंकि शीला दीक्षित का दिल्ली में प्रभाव माना जाता था और संदीप दीक्षित कांग्रेस के सांसद भी रह चुके हैं।

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने पार्टी के स्‍टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम न शामिल करने के लिए नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के बड़े नेता नहीं हैं। लिहाजा इस लिए पार्टी ने उनका नाम चुनाव की प्रचार की लिस्ट में शामिल नहीं किया है।  गौरतलब है कि कांग्रेस ने तीन दिन पहले ही चुनाव के लिए सूची जारी की है। जिसमें पार्टी के 40 नेताओं को स्टार प्रचार बताते हुए चुनाव आयोग को उनकी सूची भेजी है।

लेकिन इसमें दिल्ली के सांसद और कांग्रेस की तीन बार दिल्ली में मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के बेटे का नाम शामिल नहीं है।  पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा कि मैं मेरा नाम कांग्रेस की स्‍टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं है। मैं पार्टी का बड़ा नेता नहीं हूं। उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली कांग्रेस को संभालने वालों से उनका विवाद है। लेकिन उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। असल में दीक्षित पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। कभी दिल्ली की सीएम रही शीला दीक्षित के गांधी परिवार से बेहतर संबंध थे।

लिहाजा कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित को ही दिल्ली में पार्टी का चेहरा बनाया था। लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी में संदीप दीक्षित की उपेक्षा की जा रही है। वहीं संदीप दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस के सांसद भी रह चुके हैं। दीक्षित ने कहा कि उनकी मां और दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। गौरतलब है कि दिल्‍ली में 70 सीटों के लिए 8 फरवरी को मतदान होना और 11 फरवरी को परिणाम घोषित किए जाएंगे।