मुंबई। महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना महाराष्ट्र नव निर्माण के कड़े तेवरों को देखकर घबरा गई है। मनसे के तेवरों को देखकर शिवसेना को लग रहा है कि जल्द ही वह राज्य में शिवसेना का विकल्प बन सकती है। जिस हिंदुत्व के बलबूले शिवसेना की पूरे देश में हुआ करती थी। उसी की राजनीति अब मनसे शुरू करने जा रही है। अभी तक महज मराठी मानुष की बात करने वाली मनसे ने हिंदुंत्व को अपने एजेंडे में रख लिया है। हालांकि मनसे पहले से ही अपने आक्रामक रूख के लिए जानी जाती थी। लिहाजा अब लग रहा है कि हिंदुत्व को लेकर वह राज्य में शिवसेना को टक्टर ले सकती है। लिहाजा अब शिवसेना ने भी मनसे के ऐलान पर सुर से सुर मिलाते हुए पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों को देश से बाहर निकालने की बात की है। जबकि राज्य में वह कांग्रेस के साथ सरकार में है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को देश से बाहर निकालने का लेख लिखा है। लिहाजा इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि दो दिन पहले मनसे के अधिवेशन में जिस तरह के हिंदुत्व के एजेंडे पर चलने का संकल्प लिया था। लेकिन अब शिवसेना दावा कर रही है वह भी हिंदुत्व के एजेंडे पर काम रही है और वह भटकी नहीं है। जबकि सरकार गठन के वक्त कांग्रेस ने शिवसेना से साफ कहा था कि उसे अपना कट्टटर हिंदुत्व का चेहरा बदलाना होगा। जिस पर शिवसेना ने रजामंदी दी थी।

मनसे के अधिवेशन के दिन मनसे के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि विदेशी घुसपैठियों को देश से बाहर जाना ही होगा। इसके लिए मनसे ने आगामी 9 फरवरी को मुंबई के आजाद मैदान में बड़ी रैली का आयोजन किया है। लिहाजा अब शिवसेना ने सामना लिखा है कि घुसपैठियों को देश से बाहर जाना ही होगा। महज कुछ दिनों पहले तक बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य से बाहर निकालने को लेकर शिवसेना ने कहा था कि किसी को देश से बाहर करने का फैसला कानून करेगा।

फिलहाल शिवसेना राज्य में सीएए को लागू करने का भी विरोध कर रही है। जबकि कांग्रेस उस पर दबाव बना रही है कि वह इसके लिए पंजाब और केरल की तरह प्रस्ताव पारित करे। वहीं अब मनसे की सक्रियता से शिवसेना को फिर से आक्रामक रूख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया था। अगर शिवसेना अपने नरम रूख में ऐसे ही कायम रही तो महाराष्ट्र में शिवसेना का जनाधार खत्म हो सकता है। मनसे ने साफ कर दिया है कि वह शिवसेना में उन नेताओं को टारगेट करेगी। जो शिवसेना की मौजूदा राजनीति से नाखुश हैं। लिहाजा शिवसेना को इससे बड़ा झटका लग सकता है।

जबकि कांग्रेस से उसका गठबंधन इसी बात पर हुआ है कि वह नरम हिंदुत्व का रूख पर कायम रहेगी। लिहाजा अब यही नरम रूख शिवसेना के लिए मुसीबत बन सकता है। लेकिन मनसे से अब साफ कर दिया है कि वह हिंदुत्व, भगवा और सावरकर के मुद्दे पर महाराष्ट्र में राजनीति करेगी। जो शिवसेना के लिए खतरे की घंटी है। लिहाजा अब शिवसेना ने साफ किया है कि उसने हिंदुत्व की राजनीति को तिलांजलि नहीं दी है। फिलहाल शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मनसे को लेकर टिप्पणी की है।