भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के बीच शह मात का खेल जारी है। वहीं कमलनाथ को अब कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का भी साथ मिल रहा है। अगर इन दोनों की चली तो राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी जमीन खत्म हो जाएगी। पिछले दो साल में इस शह मात के खेल में सिंधिया को लगातार मात मिल रही है। जबकि कमलनाथ राजनैतिक तौर पर मजबूत हुए हैं।

राज्य में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। इसमें एक सीट पर दिग्विजय सिंह दावेदार हैं तो एक सीट पर सिंधिया अपनी दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि एक सीट भाजपा के खाते में जाएगी। वहीं कांग्रेस के खाते के दो सीटों में दावेदार ज्यादा है। अब तो एक सीट के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी बड़ा दावेदार माना जा रहा है।  इसके जरिए कमलनाथ समर्थक सिंधिया को मात देना चाहते हैं। क्योंकि प्रियंका के नाम पर कोई विरोध नहीं करेगा।

वहीं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सिंधिया को पूरी तरह से राज्य से बाहर रखना चाहते हैं। कांग्रेस के नेता और कमलनाथ चाहते हैं कि सिंधिया की जगह पर पार्टी प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजा जाए। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी कमलनाथ लगातार कांग्रेस अलाकमान पर अपने किसी खास को नियुक्त करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि आलाकमान ने किसी भी तरह का फैसला नहीं किया है। क्योंकि आलाकमान जानता है कि सिंधिया की राज्य में बगावत कांग्रेस के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

सोमवार को सिंधिया ने ग्वालियर में कहा कि मैं जनता का सेवक हूं, जनता के मुद्दों के लिए लड़ना मेरा धर्म है। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने वादों को पूरा नहीं करेंगे तो हमें हमें सड़क पर उतरना होगा। उधर सिंधिया समर्थक मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री इमरती देवी ने कहा कि चुनाव में  वादे न केवल सिंधिया ने किए बल्कि ये वादे राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ ने भी किए और अगर सिंधिया सड़कों पर उतरेंगे तो पूरा देश उनके साथ उतरेगा।

बहरहाल राज्य में कांग्रेस की राजनीति के तीन गुट हो गए हैं। एक मुख्यमंत्री कमलनाथ का है तो दूसरा गुट का ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीसरे गुट का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। लेकिन दिग्गी राजा अपने सियासी फायदे के लिए कमलनाथ गुट को समर्थन देते हैं।  हालांकि राज्य में ये कहा जाता है कि कमलनाथ को सीएम बनाने  में दिग्विजय सिंह की अहम भूमिका रही है। लिहाजा दिग्गी राजा को एक बार फिर राज्यसभा भेजकर कमलनाथ अपने एहसान को उतारना चाहते हैं।