नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राष्ट्रीय राजनीति में सहयोगी दलों को एकजुट करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को राज्यसभा भेजने दांव खेल सकती है वहीं कांग्रेस पूर्व केन्द्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे को भी राज्यसभा भेजकर उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित कर सकती है। फिलहाल मल्लिकार्जुन खड़गे ऊपरी सदन की नई पारी शुरू करने के लिए तैयार हैं। फिलहाल देवेगौड़ा ने अभी राज्यसभा  को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन देवगौड़ा के जरिए  कांग्रेस जहां राज्य में जेडीएस से मिलकर भाजपा का मुकाबला करेगी वहीं केन्द्र में वह देवेगौड़ा के जरिए भाजपा पर निशाना साधेगी।

पूर्व प्रधान मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा, और पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामने करना पड़ा था। लिहाजा अब दोनों राज्यसभा के जरिए एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीतिक प्रवेश करना चाहते हैं। हालांकि राज्य से कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत सकती है और बचे हुए मतों को वह जेडीएस की तरफ ट्रांसफर कर सकती है। असल में राज्य में कांग्रेस और जेडीएस एक बार फिर साथ आना चाहते हैं।

क्योंकि सोनिया गांधी को लगता है कि कांग्रेस और जेडीएस के साथ आने से यूपीए का कुनबा बढ़ेगा और वह आसानी से भाजपा का सामना कर सकेंगी. पिछले दिनों देवेगौड़ा ने भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को आगे करने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोनिया गांधी ने गौड़ा को राज्यसभा के लिए समर्थन करने का वादा किया है। पिछले साल देवेगौड़ा ने अपने पोते प्रज्वल रेवन्ना के लिए हसन सीट को छोड़ा था और तुमकुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और प्रसन्ना हसन से जीतने में कामयाब रहे।

राज्य में चार सीटें खाली हो रही हैं। राज्य में कांग्रेस के पास 67 विधायक हैं और जेडी (एस) के पास 34 हैं। राज्य में एक सीट जीतने के लिए कुल 48 वोट चाहिए। कांग्रेस एक सदस्य को आसानी से जिता सकती है और उसके 19 वोट बचते हैं जबकि जेडीएस को 14 मतों की जरूरत है। ऐसे में वह एक सदस्य को कांग्रेस की मदद से राज्यसभा में भेज सकती है।  हालांकि बताया जा रहा है कि गौड़ा ने अभी फैसला नहीं किया है। वहीं कांग्रेस में खड़गे राज्यसभा के माध्यम से अपनी दूसरी पारी शुरू करना चाहते हैं।  खड़गे को सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के करीबी हैं। असल में कांग्रेस केन्द्र की राजनीति में देवेगौड़ा के जरिए सहयोगियों के साथ अच्छा तालमेल चाहती हैं। हालांकि राज्य में एक धड़ा देवेगौड़ा के समर्थन देने के खिलाफ है।  

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके सहयोगी गौड़ा को राज्यसभा भेजने के खिलाफ हैं। सिद्धारमैया का कहना है कि गौड़ा और परिवार हमेशा कांग्रेस का इस्तेमाल सत्ता हासिल करने के लिए करता है। लिहाजा देवेगौड़ा को समर्थन नहीं देना चाहिए। वहीं कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख डीके शिवकुमार देवेगौड़ा को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में, शिवकुमार ने उनके  87 वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामना देने के लिए देवेगौड़ा के आवास पर पहुंचे थे और उनसे राज्यसभा से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था।