फिलहाल नेपाल चीन की साजिश का शिकार हो गया है। चीन ने भारत के खिलाफ नेपाल को आगे कर दिया है। जिसके जरिए वह अपने एजेंडे को चल रहा है। वहीं अब नेपाल भी अपने फायदे के लिए चीन की हां में हां मिला रहा है। फिलहाल नेपाल भी चीन के गिरफ्त में आ गया है।
नई दिल्ली। चीन और नेपाल की नई दोस्ती में नेपाल ड्रैगन को खुश करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। भारत के साथ अपने संबंधों को खराब करने के बाद अब नेपाल ने फिर चीन का साथ दिया है। नेपाल ने चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का समर्थन किया है। जिसे वह हांगकांग में लागू करने जा रहा है। वहीं अमेरिका ने इस सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय संधियों उल्लंघन बताया है। वहीं नेपाल इसे जायज बता रहा है।
फिलहाल नेपाल चीन की साजिश का शिकार हो गया है। चीन ने भारत के खिलाफ नेपाल को आगे कर दिया है। जिसके जरिए वह अपने एजेंडे को चल रहा है। वहीं अब नेपाल भी अपने फायदे के लिए चीन की हां में हां मिला रहा है। फिलहाल नेपाल भी चीन के गिरफ्त में आ गया है। पहले चीन ने पाकिस्तान को अपने जाल में फंसाया और अब वह नेपाल के जरिए भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। वहीं अब नेपाल की सरकार ने हांगकांग में थोपे जाने वाले चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का समर्थन किया है। हालांकि अमेरिका इसका सीधे तौर पर विरोध कर चुका है और उसने इसे सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय संधियों का सीधा उल्लंघन बताया है। फिलहाल नेपाल सरकार इस कानून का समर्थन कर रही है। लिहाजा इसके जरिए चीन को बड़ी राहत मिली है।
नेपाली सरकार का कहना है कि नेपाल हांगकांग को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा मानता है और वहां की शांति, कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी चीन की है। वहींनेपाल किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के खिलाफ है। लिहाजा नेपाली सरकार हांगकांग के लिए बनाए नए नियमों के लिए चीनी सरकार का समर्थन करती है। फिलहाल जहां चीन को नेपाल का साथ मिला है वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के अन्य देशों इसका विरोध कर रहे हैं। जिसके कारण चीन मुश्किल में है। नेपाल ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उसने अपने नए राजनीतिक मानचित्र में भारत के लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी हिस्सों को शामिल किया है।
Last Updated Jun 4, 2020, 1:20 PM IST