DRDO Microwave Obscurant Chaff Rocket: माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) भारतीय नौसेना की ताकत बन गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 26 जून को नयी दिल्ली में आयोजित एक प्रोग्राम में यह रॉकेट इंडियन नेवी को सौंपा। रॉकेट की खासियत सुनकर दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे। यह ऐसी तकनीक का यूज करके बना है, जो दुश्मनों के रडार को भी चकमा दे सकता है। डीआरडीओ जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला में इसे डेवलप किया गया है। 

क्लाउड बनाकर दुश्मनों को देता है चकमा

मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट को बनाने में माइक्रोवेव गुणों वाले ऐसे फाइबर का इस्तेमाल किया गया है, जो लॉन्च होने के बाद पर्याप्त समय के लिए अस्पष्ट बादल का निर्माण करता है, यह चारो तरफ से माइक्रोवेव शील्ड की तरह काम करती है। रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले दुश्मनों को एक प्रभावी कवच बनाकर इस तरह चकमा देता है कि इसके रडार के पकड़ में आने की आशंका कम रहती है। 

परीक्षण में सफल हुए थे ये रॉकेट

रॉकेट के पहले चरण के परीक्षणों भी हो चुके हैं। जिन्हें भारतीय नौसेना के जहाजों से सफलतापूर्वक किया गया था। परीक्षण के दौरान ही रॉकेट की क्वालिटी भी दिखी। अंतरिक्ष में एमओसी क्लाउड खिला रहा। दूसरे चरण के परीक्षण में हवाई लक्ष्य को 90 फीसदी तक कम करने का प्रदर्शन हुआ। नेवी ने इसे मंजूरी दी। मानकों को पूरा करने वाले सभी एमआर-एमओसीआर नेवी को सौंपे गए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की सराहना

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास की सराहना करते हुए डिफेंस सेक्टर में एमओसी टेक्नोलॉजी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। डीआरडीओ के सचिव और अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने रियर एडमिरल बृजेश वशिष्ठ को एमआर-एमओसीआर सौंपा। बृजेश वशिष्ठ नेवी के आयुध निरीक्षण महानिदेशक हैं। उन्होंने इस स्वदेशी तकनीक को डेवलप करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की।

ये भी पढें-पूरी तरह फिट नहीं थे पैर-सुने समाज के ताने, पहले IAS, अब बने दुनिया के नंबर 1 पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी ...