भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन मार्च 2025 तक लॉन्च होगी, जो कार्बन उत्सर्जन को कम कर ग्रीन एनर्जी ट्रांसपोर्ट का हिस्सा बनेगी। चेन्नई स्थित ICF में निर्मित, यह ट्रेन 110 किमी प्रति घंटा की गति से चलेगी।
नई दिल्ली। भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन तैयार हो चुकी है। मार्च 2025 तक यह ट्रेन लॉन्च की जाएगी। इसका निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया गया है, और यह इंडियन रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा। हाइड्रोजन ट्रेन के आने से रेलवे का कार्बन उत्सर्जन लगभग शून्य हो जाएगा, जिससे यह पूरी तरह ग्रीन एनर्जी ट्रांसपोर्ट का हिस्सा बन जाएगी।
क्या है हाइड्रोजन ट्रेन?
हाइड्रोजन ट्रेन ट्रेडिशनल डीजल या इलेक्ट्रिक ट्रेनों के विपरीत, हाइड्रोजन फ्यूल सेल से एनर्जी प्राप्त करती है। यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक संयोजन से बिजली उत्पन्न करती है, जिससे ट्रेन चलती है। यह हाइड्रोजन एक फ्यूल सेल स्टैक में जाता है, जहां यह ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन करता है। इस प्रॉसेस से बिजली उत्पन्न होती है, जो ट्रेन के मोटर को एनर्जी देती है। इस प्रॉसेस का एकमात्र बायप्रोडक्ट जल वाष्प (Water Vapor) होता है, जिससे यह पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त तकनीक है।
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन की मुख्य विशेषताएं
इस ट्रेन का निर्माण चेन्नई स्थित ICF में किया गया है।
इसका डिज़ाइन लखनऊ स्थित RDSO (रिसर्च, डिज़ाइन और स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन) द्वारा तैयार किया गया है।
ट्रेन में 8 पैसेंजर कोच होंगे। इसकी कुल यात्री क्षमता 2,500 होगी।
यह ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलेगी।
ट्रेन से कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा। यह डीजल ट्रेनों की तुलना में 50 फीसदी अधिक ऊर्जा कुशल होगी।
यह ग्रीन एजर्नी पर आधारित होगी, जिससे पॉल्यूशन में कमी आएगी।
मार्च 2025 तक टेस्टिंग प्रॉसेस पूरी होने की संभावना
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को उत्तर रेलवे के दिल्ली डिवीजन में जींद-सोनीपत सेक्शन (89 किमी) पर संचालित करने का निर्णय लिया है। सरकार ने इस परियोजना को प्रॉयोरिटी दी है। भारतीय रेलवे ने इसके लिए 2800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। ट्रायल रन और टेस्टिंग प्रक्रिया मार्च 2025 तक पूरी होने की संभावना है।
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Last Updated Jan 31, 2025, 6:29 PM IST