नई दिल्ली। भारत ने डिफेंस सेक्टर में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के सेक्टर में बड़ी सफलता मिली है, स्क्रैमजेट इंजन के एक्टिव कूल्ड कम्बस्‍टर की टेस्टिंग सफल हुर्ह है। देश में यह परीक्षण पहली बार हुआ है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लेवल पर भारत की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में अहम भूमिका निभाएगी।

क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल और इसकी खासियत?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति (Mach 1) से पांच गुना अधिक गति (Mach 5) से टारगेट पर हमला करती हैं। यह टेक्नोलॉजी मौजूदा मिसाइल और एयर सिक्योरिटी सिस्टम को भी पार कर जाती है। हाई स्पीड, हाई कंट्रोल और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की कैपेसिटी इन्हें अन्य मिसाइलों से अलग बनाती है। दुनिया के गिने-चुने देश जैसे अमेरिका, रूस और चीन पहले ही इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। अब भारत ने भी इस दिशा में अहम प्रगति की है। स्क्रैमजेट इंजन का 120 सेकंड तक सफल परीक्षण किया है।

कैसे काम करता है स्क्रैमजेट इंजन?

स्क्रैमजेट इंजन हाइपरसोनिक गति पर ईंधन को जलाने में सक्षम होता है। इसकी खासियत यह है कि यह बिना किसी गतिमान पुर्जे के सुपरसोनिक गति पर दहन प्रक्रिया को बनाए रखता है। डीआरडीओ के अधिकारी ने इसे समझाते हुए कहा, “स्क्रैमजेट इंजन में प्रज्ज्वलन ऐसा है जैसे 'तूफान में मोमबत्ती जलाए रखना'।" इस तकनीक की कुंजी है "एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन"। यह खास ईंधन इंजन को ठंडा रखने के साथ-साथ प्रज्वलन प्रक्रिया को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) और उद्योग के सहयोग से इस ईंधन का विकास किया गया है।

जमीनी परीक्षण में क्या हुआ?

हाल ही में किए गए परीक्षण में 120 सेकंड तक स्थिर दहन और सफल प्रज्ज्वलन जैसी उपलब्धियां हासिल की गईं। यह परीक्षण दर्शाता है कि स्क्रैमजेट इंजन हाइपरसोनिक वाहनों में यूज किया जा सकता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया ये बयान

इस सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की टीम को बधाई दी और इसे भारत की रक्षा क्षमता में बड़ा योगदान बताया। उन्होंने कहा, "यह उपलब्धि अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण कदम है।" भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ खड़ा है, जो पहले से ही हाइपरसोनिक तकनीक में महारत हासिल कर रहे हैं। इस तकनीक का उपयोग न केवल रक्षा क्षेत्र को मजबूत करेगा, बल्कि देश की वैश्विक स्थिति को भी सशक्त बनाएगा।

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