नई दिल्‍ली। प्रदूषण कम करने की मुहीम में अब भारतीय सेना भी शामिल हो गई है, जो अब हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली बस का यूज करेगी। इंडियन आयल ने ऐसे बसों को इंडियन आर्मी को सौंपा है। उधर, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय प्रदूषण कम करने के लिए नयी तकनीक पर पहले से काम कर रही है। विभागीय मंत्री नितिन गडकरी खुद हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ी यूज करते हैं। टाटा और रिलायंस जैसी दिग्गज कम्पनियां भी इस टेक्‍नोलॉजी पर काम कर रही हैं। आइए जानते हैं इस तकनीक से चलने वाली बस की खासियत। 

इंडियन आयल और भारतीय सेना के बीच हुआ समझौता

नयी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इंडियन आयल और भारतीय सेना ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और फिर हाइड्रोजन से चलने वाली बस आर्मी को सौंप दी गई। इस दौरान सेना प्रमुख मनोज पांडे के अलावा इंडियन आयल के अध्यक्ष श्रीकांत माधव भी उपस्थित थे। अब भारतीय सेना आवागमन के लिए हाइड्रोजन बस का भी यूज करेगी। समझौते को लेकर जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना नवीनतम टेक्नोलॉजी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। 

हाइड्रोजन बस की खासियत

सेना को सौंपे गए हाइड्रोजन बस में एक बार में 30 किलोग्राम हाइड्रोजन भरा जा सकता है। इतने ईंधन में बस करीबन 250 से 300 किलोमीटर तक सफर तय कर सकती है। बस में 37 लोगों के बैठ सकते हैं। खास यह है कि हाइड्रोजन बस से कार्बन का उत्सर्जन नहीं होगा। सेना ने अपने बेड़े में हाइड्रोजन ईंधन बस शामिल कर दुनिया को नयी राह दिखाई है, जो हरित और टिकाऊ परिवहन समाधान खोजने की दिशा में सेना का दृढ़ संकल्प प्रदर्शित करता है। 

एनटीपीसी से भी भारतीय सेना कर चुकी है समझौता

इससे पहले भी भारतीय सेना पर्यावरण अनुकूल परिवहन की दिशा में एक्टिव रही है। एनटीपीसी के साथ भी हाइड्रोजन बसों को लेकर 21 मार्च 2023 को समझौता किया गया था। एनटीपीसी का उत्तरी सीमा पर ग्रीन हाइड्रोजन बेस्ड माइक्रोग्रिड की स्थापना का प्लान था। उसी को आगे बढ़ाते हुए चुशूल में एक ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड की स्थापना की गई, जो 200 किलोवाट क्षमता का है।

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